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World Sparrow Day 2023 : क्यों रूठ गई हमसे गौरैया, धरा पर चहकने के लिए आदर्श वातावरण देने का संकल्प लेना होगा

इस कविता को सुनते हुए आपकी कल्पना में जो चिड़िया आती,दाना खाती,पानी पीती दिखती वह निश्चय ही  गौरैया ही होती थी।

By अनूप कुमार 
Updated Date

 डॉ. सुशील द्विवेदी

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“चिड़िया आ जा,
दाना खा जा
पानी पी जा
फुर्रर्रर से उड़ जा.”

इस कविता को सुनते हुए आपकी कल्पना में जो चिड़िया आती,दाना खाती,पानी पीती दिखती वह निश्चय ही  गौरैया ही होती थी।

चिड़िया, बस इस लाइन पर रुक कर आँख बंद करें  और मन में शब्द दोहराएँ  ‘चिड़िया’ । अब बताइए  आपने अपनी कल्पना में कौन सा पक्षी देखा? आपकी कल्पना में गौरैया ही रही होगी । गौरैया हमारे मन में जीवन में रची-बसी ही इस तरह है कि वही  चिड़िया का पर्याय हो गई है । आज 20 मार्च है और इस दिवस को विश्व गौरैया दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रकृति की सुंदरतम रचनाओं में से एक, घर-आंगन को अपनी चंचल अदाओं से खुशगवार बनाने वाली ची ची आवाज से हमें रिझाने वलीब नन्ही गौरैया की घटती आबादी को रोकने और उसके संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक और संवेदनशील बनाने के उद्देश्य से हर वर्ष ‘विश्व गौरैया दिवस’ मनाया जाता है ।

विश्व गौरैया दिवस की थीम

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हर साल विश्व गौरैया दिवस के लिए एक थीम निर्धारित की जाती है। वर्ष 2023 में विश्व गौरैया दिवस की थीम ‘आई लव स्पैरो’ निर्धारित की गई है। विश्व गौरैया दिवस की थीम 2010 से निर्धारित है और अभी तक थीम को कभी बदला नहीं गया है।

विश्व गौरैया दिवस मनाने का उद्देश्य

विश्व गौरैया दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को गौरैया के संरक्षण के प्रति जागरूक करना और कैसे गौरैया को संरक्षित किया जाए इस पर विचार करना है। गौरैया की संख्या में बहुत तेजी से कमी आ रही है। पूरे यूरोप में  सामान्य रूप से दिखाई पड़ने वाली इन चिड़ियों की संख्या लगातार घट रही है। स्थिति इतनी गंभीर है कि नीदरलैंड ने इन्हें रेड लिस्ट में रखा है। और वहीं  ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, चेक गणराज्य, बेल्जियम, इटली तथा फिनलैंड के शहरी इलाकों में दर्ज की गई है। वर्तमान में गौरैया की आबादी में 60 से 80 फीसदी तक की कमी दर्ज की गई है। ऐसे में जरूरी है कि नन्ही चिड़ियों को इस धरा पर चहकने के लिए संरक्षित एवं आदर्श वातावरण देने का संकल्प हम सभी को लेना होगा।

कैसे बचाएं गौरैया को ?
गौरैया को बचाना दरअसल पर्यावरण को बचाना है। जिस तेजी के साथ गौरैया विलुप्त हो रही है ऐसे में जरूरी है कि गौरैया संरक्षण को लेकर किए जा रहे प्रयास और तेजी से किए जाएं, इसलिए जरूरी है कि गौरैया को वापस बुलाने के लिए घर की छत पर दाना और पानी रखें, घर के आस-पास पेड़-पौधे लगाएं। साथ ही कृषि में कीटनाशकों का उपयोग कम किया जाए और जगह-जगह बर्ड हाउस स्थापित किए जाएं।

पर्यावरण और इकोसिस्टम को बेहतर बनाने के लिए जरूरी है गौरैया

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गौरैया पक्षी पारिस्थितिक तंत्र के एक हिस्से के रूप में हमारे पर्यावरण को बेहतर बनाने की दिशा में अपना महत्वपूर्ण योगदान देती है। गौरैया अल्फा और कटवर्म नामक कीड़े खाती है, जो फसलों के लिए बेहद हानिकारक होते हैं। गौरैया पक्षी पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के साथ-साथ यह किसान की भी मित्र है। यह एक ऐसा पक्षी है, जो मनुष्य यानी मानव आबादी के साथ ही रहना पसंद करती है।

( लेखक – वरिष्ठ जीव विज्ञानी व प्रधानमंत्री ई विद्या चैनल में संसाधक हैं )

 

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