हिंदू धर्म में सभी व्रतों में एकादशी का व्रत सबसे श्रेष्ठ बताया गया है।हर मास में दो एकादशी आती हैं, एक शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि और एक कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को।
देवउठानी एकादशी 2021: हिंदू धर्म में सभी व्रतों में एकादशी का व्रत सबसे श्रेष्ठ बताया गया है।हर मास में दो एकादशी आती हैं, एक शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि और एक कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को। एकादशी व्रत भगवान विष्णु जी को समर्पित होता है। लेकिन हर एकादशी का अपना अलग महत्व होता है।सनातन धर्म में देवउठनी एकादशी को बेहद पवित्र माना गया है। इस वर्ष 14 नवंबर को रविवार के दिन देवउठानी एकादशी तिथि है।आइये जानते हैं कि देवउठानी एकादशी को जीवन में बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण क्यों माना जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु का शयन काल समाप्त हो जाता है। इस वर्ष भगवान विष्णु का शयन काल यानी चातुर्मास 20 जुलाई के दिन प्रारंभ हुआ था। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, देवउठनी एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
देवउठनी एकादशी तिथि: – 14 नवंबर 2021
एकादशी तिथि प्रारंभ: – 14 नवंबर 2021 सुबह 05:48
एकादशी तिथि समापन: – 15 नवंबर 2021 सुबह 06:39
देवउठानी एकादशी पर व्रत व पूजन करने से इसका फल एक हजार अश्वमेघ यज्ञ और सौ राजसूय यज्ञ करने के बराबर मिलता है।
इस दिन व्रत-पूजन, दान-पुण्य और नदी में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप मिट जाते हैं और जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है।
इस दिन भगवान विष्णु का पूजन और व्रत करने से अकाल मृत्यु से रक्षा होती है. साथ ही सभी रोगों का नाश होता है और भगवान विष्णु का चरणामृत पीने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।