थ्वी पर हीरे की कहानी में एक और कड़ी जुड़ गई है। अभी तक पाये जाने वाले बेशकीमती हीरे में कई तरह के हीरे मिले थे जिनकी अलग अलग खासियत थी।
कैलिफोर्निया: पृथ्वी पर हीरे की कहानी में एक और कड़ी जुड़ गई है। अभी तक पाये जाने वाले बेशकीमती हीरे में कई तरह के हीरे मिले थे जिनकी अलग अलग खासियत थी। अब वैज्ञानिकों ने ऐसे ही एक अलग तरीके के हीरे की पहचान की जो तापमान अनुसारके अपना रंग बदल देता है। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा हीरा (Diamond) खोज निकाला है। तापमान बदलने पर इस हीरे का रंग ग्रे से पीला हो जाता है। ये हीरा ठंडे तापमान में अपना रंग बदल देता है। बता दें कि ‘गिरगिट’ जैसे हीरों की खोज पहली की जा चुकी है, जो अंधेरे में या गर्मी में रंग बदलते हैं, लेकिन ठंडक में रंग बदलने वाला हीरा पहली बार देखने को मिला है। इसलिए वैज्ञानिक अपनी इस खोज को लेकर बेहद उत्साहित हैं।
‘क्रायोजेनिक डायमंड’ (Cryogenic Diamond) के नाम से जाने जाने वाले इन हीरों को अगर अत्यधिक ठंडे तापमान पर रखा जाता है, तो ये ग्रे रंगे पीले रंग में बदल जाते हैं। इस हीरे की खोज कैलिफोर्निया के कार्ल्सबैड में जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ अमेरिका (जीआईए) में स्टेफनी पर्साड द्वारा की गई थी।
स्टेफनी पर्साड (Stephanie Persaud) ग्राहकों के लिए हीरे की ग्रेडिंग कर रही थी, इसी दौरान उन्होंने तीसरे प्रकार के रंग बदलने वाले हीरे को देखा। हालांकि, अभी तक इसका आधिकारिक रूप से मूल्य स्पष्ट नहीं है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी दुर्लभता इसे अत्यंत मूल्यवान बना सकती है। इस हीरे की खासियत ये है कि ये आपके हाथों में आने पर रंग नहीं बदलता है, बल्कि जब तक एक निश्चित तापमान नहीं होता है, तब तक ये रंग नहीं बदलता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये तरल नाइट्रोजन के तापमान -320°F (-196°C) तक ठंडा होने पर ही रंग बदलता है।
Chameleon या गिरगिट जैसे हीरे सबसे पहले 1866 में हीरा व्यापारी जॉर्जेस हाल्फेन ने खोजे थे। वैज्ञानिक अब तक पूरी तरह से ये नहीं समझ पाए हैं कि हीरा रंग क्यों बदलता है। कई हीरे 200 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा के तापमान पर या 24 घंटे से ज्यादा अंधेरे में रखे जाने पर रंग बदलते पाए गए हैं। हालांकि, GIA के पॉल जॉनसन का मानना है कि ठंडा करने पर हीरे का रंग इसलिए बदलता है क्योंकि इलेक्ट्रिक चार्ज हीरे में मौजूद मिलावटी कणों के करीब आता है या दूर जाता है।