निलंबित IAS अभिषेक प्रकाश ने लखीमपुर और बरेली के जिलाधिकारी पद पर रहते हुए पारिवारिक सदस्यों के नाम सैकड़ों बीघे ज़मीन ख़रीदी है। इसकी शिकायत वर्ष 2021 में बलिया के तत्कालीन सांसद वीरेंद्र सिंह ने IAS अभिषेक प्रकाश के ख़िलाफ़ साक्ष्यों सहित शिकायत भारत सरकार में की थी।
लखनऊ। निलंबित IAS अभिषेक प्रकाश ने लखीमपुर और बरेली के जिलाधिकारी पद पर रहते हुए पारिवारिक सदस्यों के नाम सैकड़ों बीघे ज़मीन ख़रीदी है। इसकी शिकायत वर्ष 2021 में बलिया के तत्कालीन सांसद वीरेंद्र सिंह ने IAS अभिषेक प्रकाश के ख़िलाफ़ साक्ष्यों सहित शिकायत भारत सरकार में की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि IAS अभिषेक प्रकाश ने DM लखीमपुर खीरी में तैनाती के दौरान लगभग 300 बीघे ज़मीन की ख़रीददारी अपने परिवार जन (माता,पिता व भाई के अलावा कुछ अन्य व्यक्तियों सहितफ़र्ज़ी कम्पनियां बनाकर) के नाम की थी। इसके अलावा बरेली में जिलाधिकारी रहने के दौरान इन्होंने लगभग 400 बीघे ज़मीन ख़रीदी है।
जी हाँ सत्य है चौकिए नहीं। यह ज़मीन बरेली शाहजहांपुर हाइवे से सटी हुई है। इतना ही नहीं इन ज़मीनों की ख़रीद में इनके द्वारा अपने डीएम होने का लाभ उठाते हुए स्टाम्प ड्यूटी की भी भारी मात्रा में चोरी की गयी है।
DOPT ने उत्तर प्रदेश सरकार को इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए लिखा था। पत्र भारत सरकार से पत्र आने के बाद काफ़ी दिनों तक यूपी के नियुक्ति विभाग ने खेल करते हुए पत्र को दबाए रखा। उसके बाद जब नियुक्ति विभाग की नींद टूटी तो वर्तमान डीएम लखीमपुर खीरी और बरेली से आख्या मांगी गयी। जिसमें लखीमपुर खीरी डीएम ने अभिषेक प्रकाश के प्रभाव में आकार मामले का गोलमोल जवाब शासन को भेज दिया। वहीं बरेली डीएम ने शासन को पत्र लिखते हुए कहा कि मामला अति गम्भीर है जो स्टाम्प चोरी के साथ साथ राजस्व से भी जुड़ा हुआ है। आरोपी विशेष सचिव स्तर का है अतः पूरे मामले की जांच दो प्रस्तर ऊपर के अधिकारी अर्थात् अपर मुख्य सचिव रैंक से कराने हेतु अनुरोध किया।
उपरोक्त प्रकरण में नियुक्ति विभाग द्वारा एसीएस राजस्व रेणुका कुमार से जांच कराने के लिए अनुमोदन हेतु फ़ाइल बड़ी मेहनत मशक़्क़त के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय भेजी गयी जिसे मुख्यमंत्री ने स्वीकृत कर दिया। लेकिन वहां से फ़ाइल लौटने के बाद अभी भी ठंडे बस्ते में पड़ी है। अब तक नियुक्ति विभाग इस प्रकरण में कोई भी आदेश जारी ना कर लीपापोती में लगा हुआ। चूंकि उपरोक्त प्रकरण काफ़ी समय से नियुक्ति विभाग में घूम रहा है। वहीं इस पूरे प्रकरण के दौरान अभिषेक प्रकाश को लखनऊ जैसे ज़िले का जिलाधिकरी बनाने के साथ साथ लखनऊ विकास प्राधिकरण का अतिरिक्त चार्ज दे दिया गया है। अब अभिषेक प्रकाश की ईमानदारी के चर्चे लखनऊ में चारों तरफ़ लोग चटकारे मारकर बताते हैं।