ख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने इस संबंध में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से विस्तृत प्रेजेंटेशन भी दिया गया है। इसमें बताया गया है कि प्रदेश में बच्चों विशेषकर बालिका गृहों की क्षमता 300 बच्चियों की है, जबकि इसके सापेक्ष इनमें सामान्यत: 485 बच्चियां रह रही हैं। इसके अलावा संप्रेक्षण गृहों की वर्तमान क्षमता 1250 बच्चों की है, यहां भी क्षमता से अधिक बच्चे रह रहे हैं।
लखनऊ। घर से भागे हुए, गुमशुदा, तस्करी किये गये, कामकाजी, बाल भिखारियों, मादक द्रव्यों के सेवन करने वाले बच्चों की देखभाल के लिये योगी सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से प्रदेश के 18 मंडल मुख्यालयों समेत 19 जनपदों में 35 नये आश्रय गृहों का निर्माण कराया जाएगा। इसके लिए शासन स्तर पर कवायद तेज हो गई है। विभाग की ओर से इसके लिए 400 करोड़ की धनराशि प्रस्तावित है। योगी सरकार प्रदेश के बच्चें को सर्वोच्च राष्ट्रीय संपत्ति मानकर उनके लिए संवेदनशील ईको सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए संकल्पबद्ध है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा है कि प्रदेश के निराश्रित और अभावग्रस्त बच्चों के लिए स्वस्थ और खुशहाल बचपन सुनिश्चित कराया जाए।
सभी मंडलों में होगा सभी श्रेणियों का कम से कम एक गृह
दरअसल, किराये और राजकीय भवनों में संचालित बाल आश्रय भवनों में से अधिकांश की स्थिति संतोषजनक नहीं है। जर्जर भवनों, तंग कमरों, भवनों में खुली हवा व क्षमता के सापेक्ष मूलभूत ढांचों का अभाव देखते हुए सरकार नये आश्रय स्थलों का निर्माण कराने जा रही है। यहां खुले हवादार कमरे, योग, व्यायाम, खेलकूद, बागवानी आदि के लिए खुले मैदान होंगे तो चाइल्ड केयर होम, ऑब्जर्वेशन होम, न्याय बोर्ड, सुप्रीटेंडेंट एवं वॉर्डन के आवास की भी सुविधा होगी। महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से बालिकाओं के लिए 12 बाल गृह, बालकों के लिए 1 बाल गृह, शिशुओं और विशेषज्ञ दत्तकग्रहण यूनिट के लिए 6 बाल गृह, किशोरों के लिए 11 संपेक्षण गृह व 5 इंटीग्रेटेड होम का निर्माण प्रस्तावित है। योगी सरकार प्रदेश के सभी मंडलों में सभी श्रेणियों का कम से कम एक गृह संचालित करेगी।
अभी सात हजार बच्चों की हो रही देख-रेख
हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने इस संबंध में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से विस्तृत प्रेजेंटेशन भी दिया गया है। इसमें बताया गया है कि प्रदेश में बच्चों विशेषकर बालिका गृहों की क्षमता 300 बच्चियों की है, जबकि इसके सापेक्ष इनमें सामान्यत: 485 बच्चियां रह रही हैं। इसके अलावा संप्रेक्षण गृहों की वर्तमान क्षमता 1250 बच्चों की है, यहां भी क्षमता से अधिक बच्चे रह रहे हैं। इसके परिणाम स्वरूप बच्चों की शिक्षा, चिकित्सा, कौशल विकास, जीवन कौशल तथा मानसिक, शारीरिक व भावनात्मक विकास में प्रतिकूल प्रभाव देखा गया है। इनके लिए नये गृहों को बनाना अत्यंत आवश्यक है। बता दें कि प्रदेश में अभी लगभग 7000 बच्चे 183 राजकीय और स्वैच्छिक संगठनों के माध्यम से आवासित हैं।
कहां बनने हैं किस-किस श्रेणी के आश्रय गृह
प्रस्तावित राजकीय गृहों में आगरा में 100 की क्षमता वाला एक बालिका गृह, अलीगढ़ में 100-100 की क्षमता वाला बाल गृह और किशोर संप्रेक्षण गृह, आजमगढ़ में 50 की क्षमता वाला शिशु गृह एवं 100 की क्षमता वाला बालिका गृह, प्रयागराज में 100-100 की क्षमता वाला बाल गृह और किशोर संप्रेक्षण गृह, लखनऊ में 300 की क्षमता वाला एकीकृत आश्रय सदन, बरेली में 100-100 की क्षमता वाले बालिका गृह और किशोर संप्रेक्षण गृह एवं 50 की क्षमता वाला शिशु गृह, मेरठ में 100-100 की क्षमता वाले बालिका गृह और किशोर संप्रेक्षण गृह एवं 50 की क्षमता वाला शिशु गृह, सहारनपुर में 100-100 की क्षमता वाले बालिका गृह और किशोर संप्रेक्षण गृह, मुरादाबाद में 100-100 की क्षमता वाले बालिका गृह और किशोर संप्रेक्षण गृह, वाराणसी में 275 की क्षमता वाला एकीकृत आश्रय सदन, मीरजापुर में 100-100 की क्षमता वाले बालिका गृह और किशोर संप्रेक्षण गृह, गोरखपुर में 350 की क्षमता वाला एकीकृत आश्रय सदन, बस्ती में 100-100 की क्षमता वाले बालिका गृह और किशोर संप्रेक्षण गृह, झांसी में 100-100 की क्षमता वाले बालिका गृह और किशोर संप्रेक्षण गृह एवं 50 की क्षमता वाला शिशु गृह, कानपुर में 50 की क्षमता वाला शिशु गृह/विशेषज्ञ दत्तकग्रहण अभिकरण, अयोध्या में 375 की क्षमता वाला एकीकृत आश्रय सदन, देवीपाटन में 100-100 की क्षमता वाले बालिका गृह और किशोर संप्रेक्षण गृह, चित्रकूट में में 100-100 की क्षमता वाले बालिका गृह, किशोर संप्रेक्षण गृह और वाला शिशु गृह बनाए जाएंगे। इसके अलावा अमेठी में 310 की क्षमता वाला एकीकृत आश्रय सदन बनाया जाएगा।