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बचपन बचाओ आंदोलन की छापामार कार्रवाई में छुड़ाए गए 41 बच्चे , दर्जन भर फैक्ट्रियां सील

नई दिल्ली की आजाद मार्केट की खिलौना फैक्ट्रियों में बचपन बचाओ आंदोलन, कोतवाली, दरियागंज के एसडीएम, श्रम विभाग (Labour Department)  , बाल विकास धारा और पुलिस की साझा छापामार कार्रवाई में 41 बच्चे मुक्त कराए गए।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। नई दिल्ली की आजाद मार्केट की खिलौना फैक्ट्रियों में बचपन बचाओ आंदोलन, कोतवाली, दरियागंज के एसडीएम, श्रम विभाग (Labour Department)  , बाल विकास धारा और पुलिस की साझा छापामार कार्रवाई में 41 बच्चे मुक्त कराए गए। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi awarded the Nobel Peace Prize) द्वारा स्थापित बचपन बचाओ आंदोलन (BBA) के सहयोग से मारे गए इन छापों के दौरान छुड़ाए गए बच्चे साफ तौर पर भूख और थकान के शिकार दिखाई दे रहे थे।

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छापामार कार्रवाई के बाद आजाद मार्केट के राम बाग रोड पर स्थित दर्जन भर फैक्ट्रियों को सील कर दिया गया और इनके मालिकों के खिलाफ बाड़ा हिंदू राव थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है। छुड़ाए गए बच्चों की उम्र 13 से 17 साल के बीच थी और ये सभी फटे पुराने कपड़ों में और नंगे पांव थे। आरोप है कि इन सभी बच्चों को रोजाना सुबह नौ बजे से लेकर आधी रात तक खटाया जाता था। इन्हें न ठीक से खाना दिया जाता था और न इनके पास सोने की कोई जगह थी। आधी रात तक काम करने के बाद उन्हें फैक्ट्री में ही सोना पड़ता था। छुड़ाए गए बच्चे बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड के हैं।

छुड़ाए जाने के बाद मुख्य जिला स्वास्थ्य अधिकारी (मध्य दिल्ली) ने इन सभी बच्चों की चिकित्सा जांच की। इसके बाद इन बच्चों को बाल कल्याण समिति (Child Welfare Committee)के समक्ष पेश किया गया जहां से उन्हें एक आश्रय गृह भेज दिया गया।

इस कार्रवाई का नेतृत्व कर रहे कोतवाली, दरियागंज के एसडीएम अरविंद राणा (Daryaganj SDM Arvind Rana) ने आदेश में कहा कि इन फैक्ट्री मालिकों ने बाल एवं किशोर श्रम कानून, बाल न्याय कानून और बंधुआ मजदूरी उन्मूलन कानून के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। एसडीएम के आदेश पर पुलिस ने इन फैक्ट्री मालिकों के खिलाफ बंधुआ मजदूरी कानून (Bonded Labor Law) , बाल श्रम कानून (Child Labor Law) , बाल न्याय कानून (Juvenile Justice Law) और ट्रैफिकिंग एक्ट (Trafficking act) के प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज कर लिया है।

बच्चों के दुर्व्यापार और बाल मजदूरी (Child Labour) की खतरनाक समस्या पर बीबीए के निदेशक मनीष शर्मा ने कहा, “ यह पूरे समाज के लिए चिंता की बात है कि आजादी के दशकों बाद भी हम अपने बच्चों को बाल मजदूरी के कोढ़ से मुक्त नहीं करा पाए हैं। खिलौनों से खेलने की उम्र में बच्चों को खिलौना बनाते हुए देखना हम सभी को शर्मसार करने वाली बात है।”

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राष्ट्रीय राजधानी में पिछले दस दिन में बच्चों को बाल मजदूरी (Child Labour)  से मुक्त कराने की बीबीए की यह दूसरी बड़ी कार्रवाई है। पिछले हफ्ते बीबीए (BBA)  , दिल्ली कैंट के एसडीएम, श्रम विभाग (Labour Department) और पुलिस की साझा कार्रवाई में नारायणा से 14 बच्चों को मुक्त कराया गया था। इसमें ज्यादातर की सेहत खराब थी और उनके हाथ-पांव पर जले के निशान थे।

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