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Actor Rajeev Verma Birthday Special: एक्टर ने अपनी एक्टिंग को लेकर किया था बड़ा खुलासा, कहा- मन ऊब चुका है पिता बनते-बनते

बॉलीवुड हो या टीवी अपनी एक्टिंग के चलते लाखों दिलों पर राज करने वाले राजीव वर्मा आज अपना 73 वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहें हैं. राजीव वर्मा (Rajeev Verma) का जन्म 28 जून 1949 को मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम में हुआ था. 

By आराधना शर्मा 
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Actor Rajeev Verma Birthday Special: : बॉलीवुड हो या टीवी अपनी एक्टिंग के चलते लाखों दिलों पर राज करने वाले राजीव वर्मा आज अपना 73 वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहें हैं. राजीव वर्मा (Rajeev Verma) का जन्म 28 जून 1949 को मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम में हुआ था.

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आपको बता दें, राजीव मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (Maulana Azad National Institute of Technology) से आर्किटेक्चरल डिग्री (architectural degree) हासिल की । बाद में, उन्होंने दिल्ली के स्कूल ऑफ़ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर में अर्बन डिज़ाइन में मास्टर्स किया।

उनकी शादी रीता भादुड़ी से हुई। रीता उनके गृहनगर भोपाल में स्थित एक शिक्षाविद् हैं और एक थिएटर अभिनेत्री भी हैं, जो भोपाल थिएटर्स नामक एक समूह चलाती हैं।

वहीं ‘पिता की छवि में नजर आते-आते  से अब मन ऊब गया है। अगर ऐसे रोल मिलते भी हैं तो मना कर देता हूं।’ यह कहना है फिल्म एवं टेलीविजन पर अपनी खास पहचान बनाने वाले वरिष्ठ रंगकर्मी, निर्देशक एवं अभिनेता राजीव वर्मा का।

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80 के दशक में दूरदर्शन पर आने वाले धारावाहिक ‘चुनौती’ में सख्त मिजाज प्रिंसिपल के रूप में पहचान बनाने वाले श्री वर्मा इन दिनों 30 मई को मंचित होने वाले नाटक ‘वक्त के कराहते रंग’ की रिहर्सल में व्यस्त हैं। याद हैं दर्शकों की वो सिसकियां मैंने 32 साल पहले नाटक ‘वक्त के कराहते रंग’ का निर्देशन किया था। तब मप्र उर्दू अकादमी के एक आयोजन में इस नाटक की प्रस्तुति दी थी।

नाटक के खत्म होने पर दर्शकों की जो सिसकियां मैंने सुनी थीं उसकी याद आज भी मेरे जेहन में ताजा है। इस बार फिर हम यही ड्रामा लेकर आए हैं। इसमें सभी कलाकार भोपाल से हैं और करीब 60 रिहर्सल की गई हैं। 20 साल बाद फिर मिला निर्देशन का मौका मैंने भोपाल में लगभग 20 साल पहले नाटकों का निर्देशन किया है। इस बीच लघु नाटक किए और दो साल पहले नाटक ‘सालगिरह’ में अभिनय भी किया। मैं मुंबई में नाटकों में अभिनय करता हूं इसमें ‘छू मंतर’ प्ले लगभग सात साल लगातार चला।

थिएटर में काम करने का अपना अलग मजा है जो किसी भी अन्य माध्यम से ज्यादा सेटिस्फेक्शन देता है। छवि को ब्रेक करने की कोशिश फिल्मों और टेलीविजन में काम करते हुए एक पिता की छवि मेरे साथ जुड़ गई है। मैंने इसे ब्रेक करने की कोशिश की है। अब मैं अन्य किरदारों में बदलाव लाने वाले रोल का चयन करता हूं, जो धारावाहिक ‘छोटी बहू’ और ‘मिसेज कौशिक की पांच बहुएं’ में देखा जा सकता है। मुझे प्रोफेशनली छोटा पर्दा ज्यादा पसंद है।

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