श्री शारदा भारतीय प्रबंधन संस्थान के स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती उर्फ पार्थ सारथी छात्राओं से यौन शोषण के मामले में पटियाला हाउस कोर्ट में आज सुनवाई होनी थी। अभी वह पुलिस रिमांड में है और गुरुवार को उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई होनी थी। इससे पहले सुनवाई होती मामले में अचानक नया मोड़ आ गया।
नई दिल्ली। श्री शारदा भारतीय प्रबंधन संस्थान (Sri Sharada Indian Institute of Management) के स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती उर्फ पार्थ सारथी छात्राओं से यौन शोषण के मामले में पटियाला हाउस कोर्ट (Patiala House Court) में आज सुनवाई होनी थी। अभी वह पुलिस रिमांड में है और गुरुवार को उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई होनी थी। इससे पहले सुनवाई होती मामले में अचानक नया मोड़ आ गया। एडिशनल जज अतुल अहलावत (Additional Judge Atul Ahlawat) ने इस मामले को सुनने से मना कर दिया और खुद केस अलग हो गए। अब इस मामले को लंच के बाद डिस्ट्रिक्ट जज के समक्ष सुना जाएगा।
बता दे कि कि चैतन्यानंद सरस्वती उर्फ पार्थसारथी (Chaitanyananda Saraswati alias Parthasarathi) दिल्ली के वसंत कुंज में श्री शारदा भारतीय प्रबंधन के नाम से एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान में निदेशक थे। संस्थान की ही 17 से अधिक छात्राओं ने उनपर यौन शोषण (Sexual Exploitation) का आरोप लगाया है। मुकदमा लिखने के बाद वह दो महीनों तक पुलिस को चकमा देकर फरारी कटाते रहे। इस दौरान भी वह लंदन का एक नंबर प्रयोग कर कई छात्राओं के टच में थे और उनसे अश्लील बाते करते थे। दिल्ली पुलिस ने पार्थसारथी को 27 सितंबर को आगरा के एक होटल से गिरफ्ताार किया था। पुलिस ने उसके पास एक मोबाइल और टेबलेट भी बरामद किया था। दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तारी के बाद आरोपी पार्थसारथी को 28 सितंबर को कोर्ट में पेश किया था, जहां से उन्हे पांच दिन की पुलिस रिमांड में भेज दिया गया था। वहीं वहीं तीन अक्टूबर को कोर्ट में उन्हे दोबारा पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिन की ज्यूडिशियल कस्टडी (judicial custody) में भेज दिया गया।
गुरुवार को होनी थी जमानत याचिका पर सुनवाई
पार्थसारथी की जमानत याचिका पर गुरुवार को सुनवाई होनी थी। इस कारण कोर्ट रूम में पहले से तनाव था। पार्थसारथी के अधिवक्ता अजय बर्मन (Advocate Ajay Burman) जमानत की पैरवी कर रहे थें लेकिन सुनवाई शुरू होती उससे पहले ही जज अतुल अहलावत ने खुद को इस केस से अलग कर लिया। ऐसा जज अहलावत ने पहली बार नहीं किया है। इससे पहले भी वह पार्थसाारर्थी की वित्तीय अनियमितता (financial irregularities) से जुड़ी अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर चुके हैं। अब इस मामले की सुनवाई डिस्ट्रिक्ट जज (District Judge) के पास स्थानांतरित कर दी गई है।