अफगानिस्तान में तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद वहां खौफ का माहौल है। बदहवासी ,बदहाली और दहशत के साये में अफगानी नागरिक काबुल एयरपोर्ट पर जमा हो रहे है। 14 अगस्त से ही काबुल हवाई अडडे की तस्वीर में से मानवता का रंग उड़ गया है।
Afghanistan Crisis:अफगानिस्तान में तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद वहां खौफ का माहौल है। बदहवासी ,बदहाली और दहशत के साये में अफगानी नागरिक काबुल एयरपोर्ट पर जमा हो रहे हैं। 14 अगस्त से ही काबुल हवाई अडडे की तस्वीर में से मानवता का रंग उड़ गया है। बच्चे, बूढ़े और महिलाएं ,युवक और युवतियां सभी तालिबानी खौफ से बहुत दूर उड़ जाना चाहते हैं। अत्याधुनिक हथियारों से लैस अफगानिस्तान को कब्जा करने वाले तालिबानी सबसे जानवरों की तरह बर्ताव कर रहे हैं।
अफगानिस्तान में बने इस नये माहौल में वहां हर पल कुछ नया घटित हो रहा है। अफगानिस्तान ( Afghanistan) से देश छोड़ कर बाहर जाने के लिए काबुल हवाई अडडे (Kabul Airport) पर कई हजारों की भीड़ जमा है। काबुल हवाई अडडे की हालत चिंताजनक बनी हुई है।गैर मुल्कों के नागरिक भी तालिबानी हुक्म की पाबंदी का पालन करने को मजबूर है। इंसानियत को तार तार करने वाले तालिबानी लड़ाके अफगानिस्तान के एयरपोर्ट को अपने कब्जे ले लिया है। उड़ानों आवाजाही पर तालिबानी रोज नए नए फरमान जारी कर देते है।
अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने से आम लोगों की जिंदगी पहले से कहीं ज्यादा मुश्किल हो गई है। खाने को लेकर जो समस्या बनी हुई थी, वो अब और गहराती जा रही है। जमीनी सीमाओं के बंद होने के बाद लोगों की भीड़ एयरपोर्ट पर जुटी हुई है। वह किसी भी तरह से देश छोड़ना चाहते हैं। एयरपोर्ट पर अफगानियों की भीड़ के कारण हालात इतने खराब हो गए कि भीड़ को तितर-बितर करने के हवा में फायरिंग करनी पड़ी।
काबुल एयरपोर्ट मची चीख पुकार, दहशत में भागते कदम,इस एयरपोर्ट की ऐसी कहानी लिख रहा है जो सदियों तक भुलायी नहीं जा सकता। काबुल एयरपोर्ट का ये खूनी मंजर जिंदगियों को लील रहा है।अफगानिस्तान की हवा में बारूद सूंघते हुए गल रहे लोग बहरी दुनिया की ताजी हवा पाने के लिए एयरपोर्ट के खैफनाक मंजर से लड़ने को तैयार है। एयरपोर्ट पर भागते कदम ,तड़तड़ाती गोलियों का शोर और सामने खड़े तालिबानी हथियार थामे लड़ाकों की लाल लाल आंखे वहां जमा हुए लोगों को डरा रही है।
मानवता के इतिहास में काबुल एयरपोर्ट कहानी एक खौफनाक मंजर कहानी बना गया है। सिसकती जिंदगियां और जीवन जीने आस का मुकाबला ये एयरपोर्ट देख रहा है। कौन जीतेगा, कौन हारेगा? चीत्कार की आवाज कितनी तेज रही ये हावई अडडा इन सब का गवाह बन गया है। एक डरावनी याद को कैद किए ये एयरपोर्ट देशों से संधियों और पाबंदियों का भी गवाह बन गया है। एयरपोर्ट सैनिकों की हवाई फायरिंग का गवाह बना। मानव, मजबूरी, और मानवता गवाह बना काबुल एयरपोर्ट।