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Ahoi Ashtami 2024 : अहोई अष्टमी के दिन दीवार पर बनाएं अहोई माता की तस्वीर, माताएँ पहनती हैं स्याहु माला

कार्तिक मास व्रत और पूजा की कड़ी में प्रमुख व्रत अहोई अष्टमी है। अहोई अष्टमी या अहोई आठे एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्यौहार है। इस व्रत को माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और सफलता के लिए व्रत रखती थीं।

By अनूप कुमार 
Updated Date

Ahoi Ashtami 2024:  कार्तिक मास व्रत और पूजा की कड़ी में प्रमुख व्रत अहोई अष्टमी है। अहोई अष्टमी या अहोई आठे एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्यौहार है। इस व्रत को माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और सफलता के लिए व्रत रखती थीं। यह व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस दिन अहोई माता की पूजा की जाती है और माताएँ स्याहु माला पहनती हैं। करवा चौथ की तरह अहोई अष्टमी भी कठोर उपवास का दिन है और कई महिलाएं पूरे दिन पानी भी ग्रहण नहीं करती हैं।

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वर्ष 2024 में, कई अन्य दिनों और त्योहारों की तरह, इस बात को लेकर भी संशय है कि अहोई अष्टमी व्रत 24 अक्टूबर को रखा जाए या 25 अक्टूबर को। और इस दुविधा को दूर करने के लिए, 24 अक्टूबर को व्रत रखने की सलाह दी जाती है।

चंद्रोदय का समय
“अहोई अष्टमी गुरुवार, 24 अक्टूबर, 2024 अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त शाम 05:42 बजे से शाम 06:59 बजे तक अवधि 01 घंटा 17 मिनट शाम को तारे देखने समय – शाम 06:06 बजे कृष्ण दशमी अहोई अष्टमी के दिन चंद्रोदय का समय रात 11:55 बजे।”

महिलाएं दीवार पर अहोई माता की तस्वीर बनाती हैं
इस दिन महिलाएं दीवार पर अहोई माता की तस्वीर बनाती हैं। बनाई गई तस्वीर में ‘अष्ट कोष्ठक’ या आठ कोने होने चाहिए। अन्य तस्वीरों के साथ-साथ देवी अहोई के पास ‘सेई’ (अपने बच्चों के साथ हाथी) की तस्वीर बनाई जाती है। अगर तस्वीर नहीं बनाई जा सकती तो अहोई अष्टमी का वॉलपेपर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। तस्वीर में सात बेटों और बहुओं को भी दिखाया जाता है जैसा कि अहोई अष्टमी कथा में बताया गया है।

स्याहु माला 
स्याहु लॉकेट चांदी से निर्मित होता है और इसे अहोई अष्टमी के दिन रोली का टीका लगाकर पूजन करने के पश्चात ही धारण किया जाता है। इसे कलावा या मौली में पिरोकर पहना जाता है। कहा जाता है कि यह धागा रक्षा सूत्र के समान कार्य करता है। इसके अतिरिक्त, माला में हर वर्ष एक चांदी का मोती जोड़ने का नियम है। इस मोती को बच्चों की उम्र के अनुसार बढ़ाया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से संतान को दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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