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देवप्रयाग में जय श्रीराम का नारा सुनकर अखिलेश यादव, बोले- यहां कहां से आए राम? फिर पुजारी ने सुनाई कथा

विजय दशमी पर्व (Vijay Dashami Festival) पर यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने पत्नी लोकसभा सांसद डिंपल यादव (Lok Sabha MP Dimple Yadav) व परिजनों के साथ संगम स्थल पर गंगा दर्शन और पूजन किया। इस दौरान उनको देखने और मिलने के लिए लोगों की भारी भीड़ जुटी रही। जबकि कई लोगो ने उनके साथ सेल्फी ले रहे थे।

By संतोष सिंह 
Updated Date

देवप्रयाग। विजय दशमी पर्व (Vijay Dashami Festival) पर यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने पत्नी लोकसभा सांसद डिंपल यादव (Lok Sabha MP Dimple Yadav) व परिजनों के साथ संगम स्थल पर गंगा दर्शन और पूजन किया। इस दौरान उनको देखने और मिलने के लिए लोगों की भारी भीड़ जुटी रही। जबकि कई लोगो ने उनके साथ सेल्फी ले रहे थे।

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मंगलवार को सपा नेता अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav)  अपनी पत्नी व सांसद डिंपल यादव (MP Dimple Yadav) तथा परिवार के साथ अचानक देवप्रयाग में अलकनंदा और भागीरथी के संगम पर पहुंचे। अखिलेश के परिवार के साथ पहुंचने पर पुलिस की ओर से पुख्ता इंतजाम किए गए थे। इस दौरान गंगा स्नान के बाद तीर्थ पुरोहित पंडित हजारी लाल भट्ट (Pilgrimage priest Pandit Hazari Lal Bhatt) ने गंगा पूजन करवाया।

अखिलेश ने कहा कि वह शीतकाल में दोबारा अवश्य गंगा स्नान के लिए देवप्रयाग संगम (Devprayag Sangam) पर पहुंचेंगे। संगम स्थल पर पूजन के दौरान उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav)  को मंदिर के पूर्व पुजारी सोमनाथ भट्ट (Somnath Bhatt) ने इस स्थान का ऐतिहासिक महत्व भी बताया। इस दौरान सोमनाथ भट्ट (Somnath Bhatt) ने जय श्री राम (Jai Shri Ram) का जयकारा लगाया तो अखिलेश मुस्कुराते हुए बोल पड़े कि यहां कहां से आए राम।

आदि गुरु शंकराचार्य ने किया था देवप्रयाग में रघुनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार

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राम तो लोग बोले, जगत में हर जगह हैं राम ही राम। इस पर भट्ट ने बताया, त्रेतायुग में राम यहां आए थे। उन्होंने बताया कि रावण का वध करने के बाद ब्रह्महत्या के दोष से मुक्त होने के लिए श्रीराम ने देवप्रयाग (Devprayag) स्थित रामकुंड में भगवान शिव की आराधना की थी। इसके बाद भगवान शिव ने उन्हें ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति प्रदान की थी। बताया, आठवीं सदी में आदि गुरु शंकराचार्य (Aadi Guru Shankaracharya) ने देवप्रयाग में रघुनाथ मंदिर (Raghunath Temple) का जीर्णोद्धार किया था।

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