नई दिल्ली: 25 मार्च यानी बृहस्पतिवार को आमलकी एकादशी मनायी जाएगी। आमलकी एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा करने का विधान हमारे हिन्दू शास्त्रों में बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि आमलकी एकादशी के दिन आंवला वृक्ष की पूजा करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति को श्रीहरि की कृपा प्राप्त होती है।
जिससे व्यक्ति संसार के सभी सुखों को भोगकर अंत में भगवान विष्णु के लोक को जाता है। तो आइए जानते हैं आमलकी एकादशी का शुभ मुहूर्त, व्रत पारण का समय और पूजा विधि के बारे में।
आमलकी एकादशी शुभ मुहूर्त
- एकादशी तिथि का प्रारंभ – 24 मार्च को सुबह 10 बजकर 23 मिनट से।
- एकादशी तिथि समाप्त – 25 मार्च को सुबह 09 बजकर 47 मिनट तक।
- एकादशी व्रत पारण का समय – 26 मार्च को सुबह 06:18 बजे से 08:21 बजे तक।
आमलकी एकादशी पूजा विधि
- भगवान की पूजा के पश्चात पूजन सामग्री लेकर आंवले के वृक्ष की पूजा करें। सबसे पहले वृक्ष के चारों की भूमि को साफ करें और उसे गाय के गोबर से पवित्र करें।
- पेड़ की जड़ में एक वेदी बनाकर उस पर कलश स्थापित करें। इस कलश में देवताओं, तीर्थों एवं सागर को आमंत्रित करें।
- कलश में सुगंधी और पंच रत्न रखें। इसके ऊपर पंच पल्लव रखें फिर दीप जलाकर रखें। कलश पर श्रीखंड चंदन का लेप करें और वस्त्र पहनाएं।
- अंत में कलश के ऊपर श्री विष्णु के छठे अवतार परशुराम की स्वर्ण मूर्ति स्थापित करें और विधिवत रूप से परशुरामजी की पूजा करें।
- रात्रि में भगवत कथा व भजन-कीर्तन करते हुए प्रभु का स्मरण करें।
- द्वादशी के दिन सुबह ब्राह्मण को भोजन करवा कर दक्षिणा दें साथ ही परशुराम की मूर्तिसहित कलश ब्राह्मण को भेंट करें। इन क्रियाओं के पश्चात परायण करके अन्न जल ग्रहण करें।