कोरोना संकट के समय निजी एम्बुलेंस के ड्राइवर द्वारा मरीज और तीमारदारों से मनमानी वसूली करने की शिकायतें के बाद उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश पर परिवहन विभाग ने निजी एम्बुलेंस के किराये में एकरूपता लाने के लिए एम्बुलेंस के प्रकार के आधार पर किराया निर्धारित किया है।
लखनऊ: देश में कोरोना के चलते कई जगह ऑक्सीज़न और अंबुलेंस की कमी की समस्या देखी गई। संकट के समय निजी एम्बुलेंस के ड्राइवर द्वारा मरीज और तीमारदारों से मनमानी वसूली करने की शिकायतें के बाद उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश पर परिवहन विभाग ने निजी एम्बुलेंस के किराये में एकरूपता लाने के लिए एम्बुलेंस के प्रकार के आधार पर किराया निर्धारित किया है।
आपको बता दें, प्रदेश सरकार ने कोविड-19 महामारी के समय उचित दर पर एम्बुलेंस सेवा उपलब्ध कराने और एम्बुलेंस के किराये की दरों में एकरूपता के दृष्टिगत निजी अस्पतालों और एजेंसियों की एम्बुलेंस के किराये की दर को तय कर दिया है। यह लोगों के लिए किफायती सेवा साबित होगा।
अगर एम्बुलेंस चालक द्वारा तय किराये से ज्यादा किराया लिया जाता है तो एम्बुलेंस का पंजीकरण और चालक का ड्राइविंग लाइसेंस निरस्त कर दिया जायेगा. इस संबंध में प्रमुख सचिव, परिवहन श्री राजेश कुमार सिंह ने आदेश जारी किया है.
एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक सरकार ने चार प्रकार की एम्बुलेंस सेवाओं के लिए किराया तय किया है।
पेशेंट ट्रांसपोर्ट एम्बुलेंस, बेसिक लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस और एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस के निर्धारित दरों में आक्सीजन, एम्बुलेंस उपकरण, पीपीई किट, ग्लव्स, मास्क, फेस शील्ड, सेनेटाइजर, चालक, अपेक्षित ईएमटी तथा डाक्टर सम्मलित हैं.
प्रमुख सचिव परिवहन, राजेश कुमार सिंह के मुताबिक एम्बुलेंस को मोटर व्हीकल अधिनियम में परमिट और कर नियमों के दायरे से बाहर रखा गया है, क्योंकि एम्बुलेंस का उपयोग व्यवसायिक न होकर अनन्य रूप से मरीज या घायल के परिवहन के लिए किया जाता है, जो एक प्रकार से सामाजिक सेवा है.