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आज़म-शिवपाल की जोड़ी सपा के लिए न बने सिरदर्द, अब डैमेज कंट्रोल का मोर्चा मुलायम सिंह ने संभाला

समाजवादी पार्टी के लिए आगामी राज्यसभा और विधान परिषद चुनावों में शिवपाल यादव और आजम खान की नाराजगी अखिलेश यादव के लिए बड़ा सिरदर्द बन सकती है। सूत्रों की मानें तो पार्टी के कई नाराज विधायक शिवपाल सिंह यादव के लगातार सम्पर्क में हैं। सहयोगी दल के नेता भी शिवपाल से मुलाकात कर चुके हैं। ओम प्रकाश राजभर ने भी अपनी नाराजगी को खुले मंचों से जाहिर करना शुरू कर दिया है। इन सबके बाद राज्यसभा के चुनावों में अप्रत्याशित नतीजे देखने को मिल सकते हैं।

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के लिए आगामी राज्यसभा और विधान परिषद चुनावों में शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) और आजम खान (Aazam Khan) की नाराजगी अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के लिए बड़ा सिरदर्द बन सकती है। सूत्रों की मानें तो पार्टी के कई नाराज विधायक शिवपाल सिंह यादव के लगातार सम्पर्क में हैं। सहयोगी दल के नेता भी शिवपाल से मुलाकात कर चुके हैं। ओम प्रकाश राजभर ने भी अपनी नाराजगी को खुले मंचों से जाहिर करना शुरू कर दिया है। इन सबके बाद राज्यसभा के चुनावों में अप्रत्याशित नतीजे देखने को मिल सकते हैं।

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बता दें कि 24 मई से प्रदेश की 11 राज्यसभा की सीटों के लिए मंगलवार से नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। आजम खान की रिहाई के बाद से यूपी का बजट सत्र भी काफी दिलचस्प होने वाला है। आजम खान ने जेल से निकल कर किसी पर भी सीधे आरोप नहीं लगाया है, लेकिन उनका ये कहना कि सबसे ज्यादा जुल्म मेरे अपनों ने किया है। इसमें कई सियासी संदेश छिपे हुए हैं।

अखिलेश के करीबी नेताओं के अनुसार आजम खान ने अखिलेश यादव से फोन पर बातचीत भी नहीं की है। हालांकि डैमेज कंट्रोल के लिए अब मुलायम सिंह यादव ने कमान संभाल ली है। वह आजम खान से मिलकर उनके गिले शिकवे दूर करेंगे। बता दें कि आजम खान कई मौकों पर ये बोल भी चुके हैं कि मुलायम सिंह यादव ही उनके नेता हैं।

सपा विधायक दल की बैठक से आजम खान, उनके बेटे अबदुल्ला और शिवपाल यादव तीनों ने ही दूरी बनाए रखी।आपको बता दें कि विधानसभा में आजम हमेशा से ही सपा के लिए संकटमोचक की भूमिका निभाते रहे हैं। चाहे वो मुलायम सिंह यादव की सरकार रही हो या अखिलेश की। संसदीय कार्य मंत्री होने के नाते आजम खान ही विधानसभा की कार्यवाही में सपा का पक्ष रखते रहे थे। चूंकि अब संबंधों में जिस तरह की दूरी देखने को मिल रही है तो ये देखना भी काफी दिलचस्प होगा कि आजम खान खुद को इस विधानसभा सत्र में किस भूमिका में रखते हैं।

इस बार विधानसभा में आजम खान का क्या रूख रहेगा ये देखना दिलचस्प होगा? हालांकि जिस तरह से आजम खान का सीतापुर जेल के बाहर शिवपाल यादव ने अपने समर्थकों के साथ स्वागत किया उससे यूपी की सियासत में नए समीकरण बनने के आसार दिखने लगे हैं। सपा के मुस्लिम विधायक पार्टी के स्टैंड को लेकर बहुत खुश नहीं है। उनका मानना है कि एकतरफा वोट देने के बाद भी पार्टी उनकी तकलीफों में साथ नहीं है। ऐसे में सभी की नजरें अब आजम खान के अगले कदम पर टिकी हैं।

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