वसंत को ऋतुराज कहा जाता है। प्राचीन काल से ही बसंत आने उत्सव मनाया जाता है। भारत वर्ष में ठंड की विदाई और गर्मी के मौसम के आगमन का यह समय होता है।
Basant Panchami 2022: वसंत को ऋतुराज कहा जाता है। प्राचीन काल से ही बसंत आने उत्सव मनाया जाता है। भारत वर्ष में ठंड की विदाई और गर्मी के मौसम के आगमन का यह समय होता है। इस ऋतु में पेड़ पौधे पुराने पत्तों को छोड़ कर नये पत्ते धारण करते है। इस समय मौसम में फसलों और फूलों की सुगंध वातावरण को सम्मोहित कर लेती है। हर तरफ पीले रंग की बहार फैली रहती है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह समय ऐसा समय होता है जब मौसम माघ मास से फाल्गुन की ओर धीरे धीरे बढ़ने लगता है।
ऐसे आनन्ददायी मौसम में विद्या,वाणी की देवी मां सरस्वती की पूरे धूमधाम से पूजा अर्चना की जाती है।विद्यार्थी ,कलाकार और तपस्वी इस दिन मां सरस्वती पूजा पीले पुष्प मां को अर्पित करके करते है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पीले वस्त्र पहन कर देवी की आराधना करने का विधान है।
माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि
प्रारंभ 05 फरवरी यानी शनिवार को प्रातः: 03:47 बजे से रविवार को प्रातः: 03:46 बजे तक
पूजन का मुहूर्त सुबह 07:07 बजे से लेकर दोपहर 12:35 तक
सिद्ध योग शाम 05 बजकर 42 मिनट तक
ॐ ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः
ॐ हृीं ऐं हृीं ओम् सरस्वत्यै नमः
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वीणा पुस्तक धारिणीम् मम् भय निवारय निवारय अभयम् देहि देहि स्वाहा।
ऐं नमः भगवति वद वद वाग्देवि स्वाहा।