विद्या बुद्धि की देवी मां सरस्वती की विशेष पूजा अर्चना बसंत पंचमी के दिन की जाती है। हर वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है और विधि-विधान से माता सरस्वती की पूजा की जाती है।
Basant Panchami 2025 : विद्या बुद्धि की देवी मां सरस्वती की विशेष पूजा अर्चना बसंत पंचमी के दिन की जाती है। हर वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है और विधि-विधान से माता सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन विद्यालयों और शैक्षिक संस्थानों में विशेषकर मां सरस्वती की पूजा होती है, हवन होता है और पीले फूलों से साज-सज्जा की जाती है। यह दिन शिक्षा और कला जगत के लिए विशेष होता है। इस दिन शिक्षा सामग्री की भी पूजा की जाती है। पूजा के समय पीले पुष्प को देवी मां को अर्पित किया जाता है। इस वर्ष प्रयागराज में महाकुंभ भी चल रहा है और बसंत पंचमी के दिन अमृत स्नान भी किया जाएगा। ऐसे में बसंत पंचमी का दिन और अधिक फलदायी बन गया है। इस वर्ष अद्भुत योग में महाकुंभ का आयोजन किया गया है और यह योग 144 वर्ष साल में एक बार ही बनते हैं। इसी के साथ बसंत पंचमी पर भी 144 वर्ष बाद विशेष शुभ योग (Shubh Yog) बन रहे हैं।
सरस्वती पूजन
03 फरवरी 2025 को बसंत पंचमी का उत्सव मनाया जायेगा।
पंचमी तिथि का आरंभ 02 फरवरी 2025 को सुबह 11:53 से आरंभ होगा।
पंचमी तिथि का समाप्ति 03 फरवरी 2025 को दोपहर 01:36 मिनट को समाप्त होगा।
बसंत पंचमी 2025 शुभ योग
पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पंचमी तिथि पर शनि देव सुबह 8 बजकर 51 मिनट पर पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में गोचर करेंगे। पंचमी तिथि को शिव योग, सिद्ध साध्य योग और रवि योग भी बन रहे हैं।
उपाय
1.बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लगता। हर वक्त पढ़ाई से जी चुराता है तो बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को हरे रंग फल अर्पित करना चाहिए।
2. बच्चे के स्टडी रूम में माता सरस्वती का एक चित्र रखें और बच्चे को पढ़ाई करने से पहले नियमित रूप से माता को हाथ जोड़ कर प्रणाम करने के लिए कहें।
3. माता को पीले फूल, रोली, केसर अर्पित करें । हल्दी, चंदन और अक्षत अर्पित करें । माता को पीले फूल, रोली, केसर, हल्दी, चंदन और अक्षत अर्पित करें। यह सब सामग्री शुभ मानी जाती है और देवी को समर्पित की जाती है।
4. पीली मिठाई का भोग
अब देवी को पीली मिठाई का भोग (Bhog) लगाएं और घी का दीपक जलाएं। इसके बाद देवी सरस्वती के मंत्रों का जाप करना चाहिए। मंत्र जाप के बाद हाथों में दीपक लेकर देवी की आरती करें।