बसंत ऋतु का आगमन भारत भूमि को सुंदर उपहार है। प्रकृति बसन्त ऋतु में प्रकृति श्रृंगार करती है। भौरों की गुंजन सबको अपनी ओर आकर्षित करने लगती है।
Basant Panchami 2025 : बसंत ऋतु का आगमन भारत भूमि को सुंदर उपहार है। प्रकृति बसन्त ऋतु में प्रकृति श्रृंगार करती है। भौरों की गुंजन सबको अपनी ओर आकर्षित करने लगती है। बसंत ऋतु का प्रभाव जनमानस को उल्लासित करता हुआ होली के साथ विविध रंगों की बौछारों से समाहित होता रहता है। श्रीमद्भागवत गीता के दसवें अध्याय का पैंतीसवां श्लोक। भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते है ,जो ऋतुओं में कुसुमाकर अर्थात वसंत है , वह मैं ही तो हूँ। हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को देवी की पूजा उत्सव के रूप में मनाये जाने की परंपरा है। बसंत पंचमी के दिन दान करने की परंपरा है। मान्यता है कि इस दिन राशि के अनुसार, दान करने से बिगड़े काम बनने लगते है।
मेष- कम्बल का दान करें।
वृष- तिल व गुड़ का दान करें।
मिथुन- ऊनी वस्त्रों का दान करें।
कर्क- सफेद व लाल रंग शुभ है।
सिंह- सूर्य पूजा करें।गायत्री मंत्र का जप करें।
कन्या- हरे ऊनी वस्त्रों का दान करें।
तुला- गाय को गुड़ व केला खिलाएं।श्री सूक्त का पाठ करें।
वृश्चिक- कम्बल दान करें।
धनु- चने की दाल का सवा किलो की मात्रा में दान करें।
मकर- नीला व सफेद रंग शुभ है।
कुंभ- पीला व नीला रंग शुभ है।
मीन- पीले फलों का दान करें।