आदि देव भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पवित्र बेल पत्र अर्पित किया जाता है। भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र का इतना महत्व है कि इसके बिना शिव पूजा अधूरी मानी जाती है।
Belpatra on Shivling : आदि देव भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पवित्र बेल पत्र अर्पित किया जाता है। भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र का इतना महत्व है कि इसके बिना शिव पूजा अधूरी मानी जाती है। शिव, सृष्टि और सावन का तारतम्य है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती ने शिव भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठिन तपस्या किया था। देवी पार्वती तपस्या की अवधि में बेलपत्र का प्रसाद ग्रहण करती थीं।
बेलपत्र तोड़ने के नियम
बेलपत्र को कभी भी चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, द्वादशी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रांति और सोमवार को तथा दोपहर के बाद नहीं तोड़ना चाहिए। नया बेल पत्र न मिले, तो किसी दूसरे के चढ़ाए हुए बेलपत्र को भी धोकर कई बार इस्तेमाल किया जा सकता है।
बेलपत्र तोड़ने का मंत्र
बेल के पत्ते तोड़ने से पहले निम्न मंत्र का उच्चारण करना चाहिए-अमृतोद्भव श्रीवृक्ष महादेवप्रियःसदा। गृह्यामि तव पत्रणि शिवपूजार्थमादरात्॥ भावार्थ: अमृत से उत्पन्न सौंदर्य व ऐश्वर्यपूर्ण वृक्ष महादेव को हमेशा प्रिय है।
पत्ते का चिकना भाग शिवलिंग के ऊपर होना चाहिए
बेलपत्र को शिवलिंग पर चढ़ाने के नियम है। शिवजी को चढ़ाने के लिए बेलपत्र कम से कम 3 पत्र वाला होना चाहिए। शिवलिंग पर बेलपत्र हमेशा उल्टा अर्पित करना चाहिए, यानी पत्ते का चिकना भाग शिवलिंग के ऊपर होना चाहिए। बेलपत्र में चक्र और वज्र नहीं होना चाहिए।
शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने की सही विधि
जब भी आप शिवजी की पूजा करने जाएं तो उससे पहले बेलपत्र को अच्छे से साफ पानी से धो लें। फिर बेलपत्र की चिकनी सतह को शिवलिंग से स्पर्श कराकर अर्पित करें। इस दौरान ओम नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करें। इसके अलावा बेलपत्र चढ़ाने का मंत्र भी है। बेलपत्र को हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से चढ़ाएं। इसके साथ शिव जी का जलाभिषेक भी जरूर करें।