केंद्र सरकार (Central Government) दिवाली (Diwali) से पहले अपने कर्मचारियों के वेतन में 3 फीसदी का महंगाई भत्ता देने का ऐलान कर चुकी है। इसके बाद कई राज्य सरकारें (State Government) भी अपने कर्मचारियों के लिए दिवाली पर बोनस (Diwali Bonus) और उनको महंगाई भत्ता भुगतान समय से करने का आदेश दे चुकी हैं। इसी क्रम में दिल्ली के श्रमायुक्त कार्यालय (Labour Commissioner Office) ने भी एक आदेश जारी किया है।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार (Central Government) दिवाली (Diwali) से पहले अपने कर्मचारियों के वेतन में 3 फीसदी का महंगाई भत्ता देने का ऐलान कर चुकी है। इसके बाद कई राज्य सरकारें (State Government) भी अपने कर्मचारियों के लिए दिवाली पर बोनस (Diwali Bonus) और उनको महंगाई भत्ता भुगतान समय से करने का आदेश दे चुकी हैं। इसी क्रम में दिल्ली के श्रमायुक्त कार्यालय (Labour Commissioner Office) ने भी एक आदेश जारी किया है। इसके तहत सभी विभागों में कार्यरत कॉन्ट्रेक्ट वर्कर्स (Contract Workers) को दिवाली से पहले कॉन्ट्रेक्टर्स (Contractors) की ओर से बोनस व महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) भुगतान करने के सख्त आदेश जारी किया है।
दिल्ली के श्रमायुक्त की मंजूरी के बाद एडिशनल सेक्रेटरी (श्रम) एस सी यादव ने अपने आदेश में यह साफ और स्पष्ट किया है कि दिल्ली सरकार (Delhi Government)के विभिन्न विभागों में कॉन्ट्रेक्टर्स के जरिए बड़ी संख्या में आउटसोर्स वर्कर्स (Outsource Workers) कार्यरत है। इन आउटसोर्स वर्कर्स की ओर से शिकायतें मिल रही हैं कि कॉन्ट्रेक्टर्स की ओर से उनको बोनस नहीं दिया जा रहा है। इस तरह की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए श्रमायुक्त कार्यालय ने यह एडवाइजरी जारी की है।
एडिशनल सेक्रेटरी ने इस एडवाइजरी में केंद्रीय बोनस पेमेंट एक्ट, 1965 और कॉन्ट्रेक्ट लेबर (रेगुलेशन एंड एबोलिशन) अधिनियम, 1970 का जिक्र भी किया है। इसके साथ ही उन सभी धाराओं का भी हवाला देते हुए सलाह दी कि गई कान्ट्रेक्ट वर्कर्स (Contract Workers) को दिवाली से पहले बोनस (Diwali Bonus) और महंगाई भत्ते आदि का भुगतान किया जाए।
साथ ही यह भी साफ किया है कि अगर कोई नियोक्ता ऐसा नहीं करता है तो औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की अलग-अलग धाराओं में संस्थापन/कॉन्ट्रेक्टर्स के लिए सजा और उससे बोनस की राशि को रिकवर करने का प्रावधान भी है। अधिनियम की धारा 28 और 33(C)(1) में इस तरह के प्रावधान हैं।
श्रम कानूनों का पालन सुनिश्चित कराना प्रमुख नियोक्ताओं की जिम्मेदारी
कॉन्ट्रेक्ट लेबर (रेगुलेशन एंड एबोलिशन) अधिनियम, 1970 का हवाला देते हुए यह भी कहा गया है कि कॉन्ट्रेक्टर्स इस दिशा में श्रम कानूनों का सही से पालन कर रहे हैं या नहीं, इसको सुनिश्चित करने का काम प्रमुख नियोक्ताओं का है। इसलिए सभी प्रमुख नियोक्ता यह सुनिश्चित करें कि सभी कॉन्ट्रेक्टर्स ने कॉन्ट्रेक्ट वर्कर्स (Contract Workers) को आगामी दिवाली का बोनस का भुगतान किया है या नहीं। बोनस का भुगतान नहीं करना एक गंभीर मामला बताया गया है।
प्रिंसिपल सेक्रेटरीज व सेक्रेटरीज को भेजा आर्डर
एडिशनल सेक्रेटरी ने इस एडवाइजरी की प्रति सभी विभागों के प्रिंसिपल सेक्रेटरीज, सेक्रेटरीज, एचओडीज व स्वायत्त निकायों को भी भेजी गई। इसके अलावा इसकी प्रति श्रम मंत्रालय के सचिव, लेबर कमिश्नर के निजी सचिव और श्रम विभाग के डीएलसी (एडमिन) को भी प्रेषित की गई हैं।
दिल्ली में करीब 60 हजार से ज्यादा कॉन्ट्रेक्ट वर्कर्स
बताते चलें कि कॉन्ट्रेक्टर कंपनियों के रूप में आईसीएसआईएल, एनआईईएलआईटी, BECIL और दूसरी अन्य ठेकेदार कंपनियों के करीब 50 हजार से ज्यादा कॉन्ट्रेक्ट वर्कर्स तमाम विभागों में कार्यरत हैं। बात करें दिल्ली के शिक्षा विभाग में आईटी (IT)और टेक्नीकल मैनपावर स्टॉफ की तो एनआईईएलआईटी (NIELIT) ठेकेदार कंपनी के ही करीब दो से ढाई हजार कॉन्ट्रेक्ट वर्कर्स (Contract Workers) बतौर डाटा एंट्री ऑपरेटर्स (Data Entry Operators) हैं।
इसी तरह से दिल्ली सरकार (Delhi Government) के सभी 11 रेवन्यू डिस्ट्रिक्ट में भी ऑउटसोर्स स्टॉफ है। हर जिला में कम से 18-20 कॉन्ट्रेक्ट वर्कर्स (Contract Workers) हैं। सभी जिला निर्वाचन कार्यालय में करीब 400-450 कॉन्ट्रेक्ट वर्कर्स (Contract Workers) बतौर डाटा एंट्री ऑपरेटर्स (डीईओ) काम कर रहा है। इसके अलावा करीब 30 हजार से ज्यादा गेस्ट टीचर्स भी कॉन्ट्रेक्ट टीचर्स के रूप में कार्यरत हैं.लेकिन इन सभी की भर्ती सीधे विभाग की ओर से की गई है। वहीं सेल्स टैक्स, ट्रेड एंड टैक्स, एन्वायरमेंट, डीपीसीसी, फूड सेफ्टी, फूड एंड सप्लाई, जीएडी, ड्रग्स कंट्रोल, आयुष समेत तमाम विभागों में बड़ी संख्या में आउटसोर्स वर्कर्स (Outsource Workers) कार्यरत है।