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देश के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई का बड़ा बयान, बोले-सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय दोनों  एक-दूसरे से न तो हीन हैं और न ही श्रेष्ठ

79वें स्वतंत्रता दिवस (79th Independence Day) के अवसर पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के आयोजित समारोह में सीजेआई गवई ने कहा कि आखिरकार, यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम (Supreme Court Collegium) भी हाई कोर्ट कोलेजियम को नामों की सिफारिश करने के लिए नहीं कह सकता।

By संतोष सिंह 
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नई दिल्ली। भारत के प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई (Chief Justice BR Gavai) ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम (Supreme Court Collegium)  किसी भी सूरत में हाई कोर्ट कोलेजियम को किसी विशेष नाम की सिफारिश करने के लिए नहीं कह सकता। 79वें स्वतंत्रता दिवस (79th Independence Day) के अवसर पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के आयोजित समारोह में सीजेआई गवई ने कहा कि आखिरकार, यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम (Supreme Court Collegium) भी हाई कोर्ट कोलेजियम को नामों की सिफारिश करने के लिए नहीं कह सकता। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) उच्च न्यायालय से श्रेष्ठ नहीं है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) और उच्च न्यायालय दोनों संवैधानिक अदालतें हैं और संवैधानिक योजना के अनुसार, वे एक-दूसरे से न तो हीन हैं और न ही श्रेष्ठ।

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इस अवसर पर एससीबीए के अध्यक्ष विकास सिंह ने सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम (Supreme Court Collegium) से आग्रह किया कि वे उच्च न्यायालयों में न्यायाधीश पद के लिए उन वकीलों पर भी विचार करें जो सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  में प्रैक्टिस कर रहे हैं, भले ही उन्होंने वहां प्रैक्टिस नहीं की हो। इसलिए सीजेआई ने कहा कि जजों की नियुक्ति पर पहला निर्णय हाई कोर्ट कोलेजियम को लेना होगा।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हम केवल नामों की सिफारिश करते हैं और उनसे अनुरोध करते हैं कि वे नामों पर विचार करें, और केवल तब जब उन्हें संतोष हो कि उम्मीदवार इस पद के योग्य हैं, तब नाम सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आते हैं। उन्होंने कहा कि जब पूर्व प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने पदभार संभाला था, तब सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने उम्मीदवारों से बातचीत करने की प्रथा शुरू की और यह ”वास्तव में सहायक” साबित हुई है। उम्मीदवारों के साथ ’10 मिनट, 15 मिनट या आधे घंटे’ बात करने के बाद सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम (Supreme Court Collegium) म यह जान सकती है कि वे समाज में योगदान देने के लिए कितने उपयुक्त होंगे।

गवई ने कहा कि यह भारत की किस्मत है कि संथाल समुदाय, जो 1855 में ब्रिटिशों के खिलाफ सबसे पहले उठ खड़ा हुआ था। अब उसकी बेटी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर हैं।

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