जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को मोकामा में दुलारचंद यादव की हत्या की निंदा की और इस घटना के लिए प्रशासन को ज़िम्मेदार ठहराया। उन्होंने इसे राज्य में कानून-व्यवस्था की स्पष्ट विफलता बताया है। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं उस जंगल राज के बने रहने को दर्शाती हैं जिसके बारे में बिहार के लोग लंबे समय से बात करते रहे हैं।
पटना। जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर (Prashant Kishor, founder of Jan Suraj) ने शुक्रवार को मोकामा में दुलारचंद यादव की हत्या की निंदा की और इस घटना के लिए प्रशासन को ज़िम्मेदार ठहराया। उन्होंने इसे राज्य में कानून-व्यवस्था की स्पष्ट विफलता बताया है। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं उस जंगल राज के बने रहने को दर्शाती हैं जिसके बारे में बिहार के लोग लंबे समय से बात करते रहे हैं। किशोर ने आगे स्पष्ट किया कि यादव आधिकारिक तौर पर जन सुराज के कार्यकर्ता नहीं थे, बल्कि वह मोकामा से जन सुराज के उम्मीदवार प्रियदर्शी पीयूष का समर्थन कर रहे थे।
प्रशांत किशोर ने कहा कि वह आधिकारिक तौर पर जन सुराज के सदस्य नहीं हैं। वह जन सुराज के आधिकारिक उम्मीदवार पीयूष जी का समर्थन कर रहे थे। यह उस जंगल-राज को दर्शाता है जिसकी लोग हमेशा से बात करते रहे हैं। लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं है। किसी की हत्या प्रशासन और कानून-व्यवस्था के लिए ज़िम्मेदार लोगों की ज़िम्मेदारी है और यह उनकी विफलता है। उन्होंने लोगों से बिना किसी आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवार को चुनने की अपील की और कहा कि जन सुराज ने उन्हें विकल्प दिए हैं। जन सुराज के संस्थापक ने ज़ोर देकर कहा कि बाहुबली किसी भी जाति, समुदाय, गांव या विचारधारा के हो सकते हैं, लेकिन जो गलत है वह गलत है। मैंने पहले भी कहा है कि बाहुबली, बाहुबलियों से लड़ने से नहीं डरते। वे अच्छे लोगों से लड़ने से डरते हैं। इसलिए, जन सुराज ने जनता को यह विकल्प दिया है। सिर्फ़ मोकामा में ही नहीं, बल्कि बिहार के कई अन्य इलाकों में भी। अब बिहार की जनता पर निर्भर है कि वह साफ़-सुथरे लोगों को चुने या उन्हीं पुराने भ्रष्ट, बाहुबलियों को। पुलिस ने बताया कि बिहार के मोकामा में चुनाव प्रचार के दौरान दो समूहों के बीच झड़प के बाद गुरुवार को दुलारचंद यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई। मृतक दुलारचंद यादव घटना के समय काफिले में थे।