राहुल गांधी ने कहा कि, भाजपा की विचारधारा राजाओं की तरह है। इनकी पार्टी में ऊपर से आए आदेश का पालन किया जाता है लेकिन कांग्रेस के अंदर सभी को बोलेने की आजादी है। कांग्रेस में लोकतंत्र है। उन्होंने कहा, हमारी विचारधारा कहती है कि देश की लगाम हिंदुस्तान की जनता के हाथ में होनी चाहिए। हम जनशक्ति की बात करते हैं।
नई दिल्ली। कांग्रेस आज अपना 139वां स्थापना दिवस मना रही है। नागपुर में इसको लेकर बड़ा आयोजन किया गया है। इस दौरान राहुल गांधी ने अपने संबोधन में कहा, देश में विचारधारा की लड़ाई चल रही है, लोगों को लगता है कि यह राजनैतिक लड़ाई है, जो सही है लेकिन इस लड़ाई की नींव विचारधारा है। बहुत सारी पार्टियां NDA और INDIA गठबंधन में है लेकिन लड़ाई दो विचारधाराओं के बीच है।
उन्होंने कहा, पिछले दिनों BJP का एक MP मुझसे लोकसभा में मिला। उन्होंने कहा-आपसे बात करनी है। उनके चेहरे पर चिंता थी। मैंने पूछा- सब ठीक है? उन्होंने कहा-नहीं, सब ठीक नहीं है। BJP में रहकर अच्छा नहीं लग रहा। मेरा दिल कांग्रेस में है। BJP में गुलामी चलती है। जो ऊपर से कहा जाता है, वो बिना सोचे समझे करना पड़ता है।
राहुल गांधी ने कहा कि, भाजपा की विचारधारा राजाओं की तरह है। इनकी पार्टी में ऊपर से आए आदेश का पालन किया जाता है लेकिन कांग्रेस के अंदर सभी को बोलेने की आजादी है। कांग्रेस में लोकतंत्र है। उन्होंने कहा, हमारी विचारधारा कहती है कि देश की लगाम हिंदुस्तान की जनता के हाथ में होनी चाहिए। हम जनशक्ति की बात करते हैं।
इसके साथ ही कहा, हमसे सवाल किया जाता है कि कांग्रेस ने क्या किया? आजादी से पहले देश में आते तो 500 से 600 से राजा मिलते और अंग्रेज मिलते। हिंदुस्तान की जनता को इस देश में कोई अधिकार नहीं था। गरीब व्यक्ति की जमीन राजा को अगर अच्छी लगी तो एक सेकेंड में इसे लेकर वो चला जाता था। सारे के सारे अधिकार की रक्षा संविधान ने की है। इसको बाबासाहेब आंबेडकर, महात्मा गांधी औऱ जवाहरलाल नेहरू ने बनाया। आरएसएस और बीजेपी के लोग संविधान के खिलाफ थे, आज झंडा फहराते हैं लेकिन कई सालों तक तिरंगे को सैल्यूट नहीं करते थे।
साथ ही कहा, आपके वोट से अलग-अलग संस्थाएं बनती हैं, ये आपकी संस्थाएं हैं। लेकिन BJP सभी संस्थाओं पर कब्ज़ा कर रही है। आप हिंदुस्तान की सारी यूनिवर्सिटीज को देख लीजिए, सभी वाइस चांसलर आज एक संगठन के हैं, जिनको कुछ नहीं आता। ये वाइस चांसलर अब मेरिट पर नहीं बनते, बल्कि संगठन के लोग वाइस चांसलर बनते हैं। पहले कहा जाता था कि मीडिया लोकतंत्र का रखवाला है। मैं आपसे पूछता हूं- क्या आज देश की मीडिया लोकतंत्र की रक्षा कर रही है?