कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से नए और पारदर्शी अध्ययन की मांग का ब्रिटेन और अमेरिका ने समर्थन किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और ब्रिटिश पीएम बोरिस जानसन ने एक संयुक्त बयान जारी किया है।
नई दिल्ली। कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से नए और पारदर्शी अध्ययन की मांग का ब्रिटेन और अमेरिका ने समर्थन किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और ब्रिटिश पीएम बोरिस जानसन ने एक संयुक्त बयान जारी किया है। जिसमें कहा है कि हम कोरोना की उत्पत्ति को लेकर चीन में चल रहे डब्ल्यूएचओ के अध्ययन के अगले चरण का समर्थन करेंगे। साथ ही समयबद्ध, पारदर्शी और साक्ष्य-आधारित स्वतंत्र प्रक्रिया की आशा करते हैं।
दोनों नेताओं का यह बयान ऐसे समय पर काफी अहम है। जब दुनियाभर में कोरोना की उत्पत्ति की जांच को लेकर मांग बढ़ी है। मालूम हो कि डेढ़ साल पहले चीन के वुहान शहर में कोरोना संक्रमण का पहला मामला सामने आया था। इसके बाद इसने दुनियाभर में अपना प्रकोप फैला दिया। इतना समय बीतने के बावजूद यह अभी तक एक रहस्य है कि इस जानलेवा वायरस की उत्पत्ति कैसे और कहां से हुई है? अब तमाम देशों और विशेषज्ञों ने इस बात का पता लगाने के लिए मांग तेज कर दी है कि यह वायरस स्वाभाविक रूप से उत्पन्न हुआ है या इसका जन्म चीन की वुहान लैब से हुआ है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के नए आंकड़ों से शक हुआ गहरा
लंदन से प्रकाशित समाचार पत्र डेली मेल ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की तरफ से किए गए एक अध्ययन के हवाले से कहा है कि वर्ष 2019 के आखिर में जब चीन के वुहान शहर में कोरोना वायरस का मामला सामने आया था। तब उससे पहले वहां के वेट मार्केट में चमगादड़ या पेंगोलिन की खरीद-बिक्री ही नहीं हुई थी। इससे इस बात पर शक और ज्यादा गहराता जा रहा है कि यह घातक वायरस न तो वुहान के वेट मार्केट से फैला है। न ही किसी चमगादड़ या पेंगोलिन से ही इंसानों में आया है। इससे यह संभावना और तेज होती जा रही है कि कोरोना वायरस चीन की कुख्यात वुहान लैब की ही उपज है।