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बुर्का फैशन नहीं बल्कि इस्लाम धर्म की है पहचान, इससे जिस्म को ढ़का जाता है नहीं की जाती नुमाईश : मुफ़्ती असद क़ासमी

यूपी (UP) के मुजफ्फरनगर के श्री राम कॉलेज (Shri Ram College) में मुस्लिम लड़कियों का बुर्के में रैंप पर कैटवाक करने को उलमा ने गलत करार दिया है। उन्होंने साफ कहा कि बुर्का फैशन (Burqa Fashion) नहीं बल्कि इस्लाम धर्म (Islam Religion) की पहचान है। बुर्के से जिस्म को ढ़का जाता है नुमाईश नहीं कि जाती।

By संतोष सिंह 
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मुजफ्फरनगर । यूपी (UP) के मुजफ्फरनगर के श्री राम कॉलेज (Shri Ram College) में मुस्लिम लड़कियों का बुर्के में रैंप पर कैटवाक करने को उलमा ने गलत करार दिया है। उन्होंने साफ कहा कि बुर्का फैशन (Burqa Fashion) नहीं बल्कि इस्लाम धर्म (Islam Religion) की पहचान है। बुर्के से जिस्म को ढ़का जाता है नुमाईश नहीं कि जाती।

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बुर्के में कैटवाक करने के मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए मदरसा जामिया शेखुल हिंद (Madrasa Jamia Shaikhul Hind) के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती असद कासमी (Mohtamim Maulana Mufti Asad Qasmi) ने कहा कि पर्दा फैशन नहीं होता है। बुर्का मजहब-ए-इस्लाम (Religion-e-Islam) में इसलिए है कि औरत का जिस्म और चेहरा ढ़का जाए, पर्दा हो। उसको फैशन के तौर पर लिया जाए ये दुरुस्त नहीं है।

उन्होंने कहा कि आजकल इस तरह के बुर्के पहने जा रहे हैं, जिससे बदन चुस्त नजर आता है और जिस्म की नुमाईश होती है। इस्लाम में ऐसे कपड़ों को पहनना नाजायज और हराम बताया गया है, जिससे बदन की नुमाईश होती है।

ऐसे बुर्कों पर पाबंदी लगनी चाहिए। मुफ़्ती असद क़ासमी ने कहा कि बुर्का फैशन नहीं बल्कि धर्म की पहचान है और इस्लाम में इसको लेकर जो हुक्म है वो यही है। बाकी हर इंसान स्वतंत्र है और सबकी अपनी सोच है कि उसके लिए क्या गलत और क्या सही है।

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