गुजरात के एक व्यवसायी इस समय सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में है।गुजरात के साबरकांठा में रहने वाले व्यापारी भावेश भाई भंडारी और उनकी पत्नी ने सब कुछ छोड़कर जैन धर्म की दीक्षा लेने का फैसला किया है।
Businessman Bhavesh Jain Monk : गुजरात के एक व्यवसायी इस समय सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में है।गुजरात के साबरकांठा में रहने वाले व्यापारी भावेश भाई भंडारी और उनकी पत्नी ने सब कुछ छोड़कर जैन धर्म की दीक्षा लेने का फैसला किया है। इस भावेश की संपत्ति करीब 200 करोड़ रुपए है। भंडारी दंपत्ति के द्वारा अचानक उठाए गए इस कदम से लोग हैरान रह गए हैं। संन्यास लेने के बाद कोई भी व्यापारी अपनी मेहनत से कमाई गई संपत्ति का एक रुपया भी अपने पास नहीं रख सकता। ऐसे में हर तरफ यही चर्चा चल रही है कि आखिर इस कारोबारी ने ऐसा फैसला क्यों लिया, जबकि सारी सुविधाएं उसके पास हैं।
आधिकारिक रूप से भिक्षु बन जाएंगे
भावेश भाई भंडारी और उनकी पत्नी ने फरवरी में एक समारोह में अपनी सारी संपत्ति दान में दे दी और इस महीने के अंत में दोनों आधिकारिक रूप से भिक्षु बन जाएंगे। भंडारी, उनकी पत्नी समेत कुल 35 लोग 22 अप्रैल को साबरकांठा के हिम्मत नगर रिवर फ्रंट पर दीक्षा लेंगे और संन्यास ले लेंगे।
भंडारी दंपत्ति अपनी 19 वर्षीय बेटी और 16 वर्षीय बेटे के नक्शेकदम पर चल रहे हैं, जो 2022 में भिक्षु बन गए थे।
यह अहिंसा के मार्ग का प्रतीक है
22 अप्रैल को प्रतिज्ञा लेने के बाद, दंपति को सभी पारिवारिक रिश्ते तोड़ने होंगे और उन्हें कोई भी ‘भौतिकवादी वस्तु’ रखने की अनुमति नहीं होगी। इसके बाद वो पूरे भारत में नंगे पैर यात्रा करेंगे और केवल भिक्षा पर जीवित रहेंगे। उन्हें केवल दो सफेद वस्त्र, भिक्षा के लिए एक कटोरा और एक “रजोहरण” रखने की अनुमति होगी। रजोहरण एक झाड़ू है जिसका इस्तेमाल जैन भिक्षु बैठने से पहले जगह साफ करने के लिए करते हैं – यह अहिंसा के मार्ग का प्रतीक है और दोनों इसी का पालन करेंगे।