अजय कुमार श्रीवास्तव पर आरोप लगा था कि, तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के स्थानान्तरण आदेश एवं उनके कार्यभार ग्रहण की अवधि के मध्य 23, 24 व 25 मई, 2018 को पूर्व तत्त्कालीन मुख्य चिकित्स अधीक्षक के साथ मिलकर बिना वैध टेण्डर कराये, नियम विरूद्ध तरीके से व्यापक वित्तीय अनियमितता करते हुये एक करोड़ 40 लाख से अधिक की धनराशि का आहरण कोषागार से करवाया गया, जिसका भौतिक सत्यापन आपने अपने नियंत्रक अधिकारी से नहीं करवाया गया और न ही उपरोक्त के संबंध में स्पष्ट उत्तर दिन गया था।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग को अपने कब्जे में रखने वाले मुकेश श्रीवास्वत के भाई अजय कुमार श्रीवास्तव का भी जलवा विभाग में खूब कायम रहा। अजय कुमार श्रीवास्तव स्वास्थ्य विभाग में कनिष्ठ सहायक के पद पर कार्यरत है। हालांकि, इनके रसूख के आगे बड़े-बड़े अधिकारी भी फेल हैं। अजय कुमार श्रीवास्तव अपने किसी भी अधिकारी के आदेश का पालन नहीं करते और न ही कभी अपनी ड्यूटी को लेकर संजीदा रहे। यही नहीं अपनी तैनाती के दौरान बलरामपुर से लेकर गोंडा तक विभाग में ठेका से लेकर अपनी पत्नी और परिवार के अन्य लोगों के नाम से संचालित हो रही फर्मों के लिए काम करते रहे। ये सभी बातें अजय कुमार श्रीवास्तव के खिलाफ मिली एक रिपोर्ट में लिखी गईं हैं।
पर्दाफाश न्यूज ने अजय श्रीवास्तव की वित्तीय अनियमित्ता, भ्रष्टाचार, अनुशासनहीनता समेत लगे कई अन्य गंभीर आरोपों के बारे में बीते दिनों जानकारी दी थी। अब अजय श्रीवास्तव अपनी पत्नी और रिश्तेदारों की फर्मों के लिए कैसे विभाग में रहकर ठेकेदारी करता था अब इसका भंड़ाफोड़ करेगा। सूत्रों की माने तो इसमें दवा माफिया मुकेश श्रीवास्तव का अपने भाई को पूरा संरक्षण था, जिसके कारण वो स्वास्थ्य विभाग में अपनी ड्यूटी छोकर सभी काम करता था। संयुक्त जिला चिकित्सालय, बलरामपुर में वर्ष 2015 से 03 नवम्बर, 2018 तक तैनाती की अवधि के दौरान अजय कुमार श्रीवास्तव के खिलाफ अनियमितताओं गंभीर आरोप लगे थे।
अजय कुमार श्रीवास्तव पर आरोप लगा था कि, तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के स्थानान्तरण आदेश एवं उनके कार्यभार ग्रहण की अवधि के मध्य 23, 24 व 25 मई, 2018 को पूर्व तत्त्कालीन मुख्य चिकित्स अधीक्षक के साथ मिलकर बिना वैध टेण्डर कराये, नियम विरूद्ध तरीके से व्यापक वित्तीय अनियमितता करते हुये एक करोड़ 40 लाख से अधिक की धनराशि का आहरण कोषागार से करवाया गया, जिसका भौतिक सत्यापन आपने अपने नियंत्रक अधिकारी से नहीं करवाया गया और न ही उपरोक्त के संबंध में स्पष्ट उत्तर दिन गया था।
इसके साथ, अजय श्रीवास्तव पर आरोप था कि, वो पत्नी सविता की फर्म मेसर्स हिन्दुस्तान ड्रग्स एण्ड फार्मासुस्टिकल्स, केडीसी रोड, बहराइच व पिता राजेन्द्र प्रसाद के नाम की फर्म आरपी ग्रुप ऑफ कन्स्ट्रक्शन्स, बहराइच सहित अनेक अन्य रिश्तेदारों के नाम से फर्म बनाकर ठेकेदारी का कार्य किया गया व अपनी तैनाती कार्यालय एवं अवैध सम्बद्धता कार्यालय, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, बलरामपुर एवं अन्य सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में कार्य करवाकर काला धन कमाया गया।
साथ ही आरोप लगा कि, सरकारी कैम्पस में स्थित कई चिकित्सक आवासों सहित अन्य कई आवासों में कब्जा किया गया। नियमानुसार विद्युत शुल्क जमा नहीं किया गया। बिना अवकाश स्वीकृत कराये मुख्यालय छोड़ा गया। कार्यालय में ताला जड़कर सरकारी कार्य में बाधा पहुंचायी गयी। आप अपने कार्यालय में स्वयं कार्य न कर अन्य संविदा कर्मियों से काम कराए।