चैत्र मास बहुत ही पुनीत माना जाता है।हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है। खगोलीय प्रभाव का असर अमावस्या के दिन दिखाई देता है।
Chaitra Amavasya 2022 : चैत्र मास बहुत ही पुनीत माना जाता है।हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है। खगोलीय प्रभाव का असर अमावस्या के दिन दिखाई देता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अमावस्या की रात छोटे व असरदार उपाय करने से एक साथ कई मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। अमावस्या की तिथि जगत के पालनकर्ता श्री हरि भगवान विष्णु को है समर्पित। पितृ दोष से मुक्ति के लिए इस दिन पितरों का तर्पण करने से सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।मान्यता है कि अमावस्या तिथि पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए खास होता है, इसलिए इस दिन पितृदोष से छुटकारा पाने के लिए उपाय किए जाते हैं।
ज्योतिष के जानकारों का कहना है कि जिन लोगों को पितृ दोष होता है, उनकी तरक्की में हमेशा कोई ना कोई बाधा आती रहती है। इसके अलावा उन्हें संतान सुख में भी बाधा उत्पन्न होती है। आईये जानते हैं कि चैत्र अमावस्या कब है और पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए कौन-कौन से उपाय किए जाते हैं।
इंद्र योग शुरू हो जाएगा
हिंदी पंचांग के मुताबिक चैत्र अमावस्या तिथि 31 मार्च, दोपहर 12 बजकर 22 मिनट से शुरू हो रही है। साथ ही अमावस्या तिथि का समापन 1 अप्रैल, सुबह 11 बजकर 53 मिनट पर होगा। हालांकि उदया तिथि के आधार पर चैत्र अमावस्या, शुक्रवार 1 अप्रैल को है। इस दिन सुबह 9 बजकर 37 मिनट तक ब्रह्म योग है। जिसके बाद इंद्र योग शुरू हो जाएगा।
भोजन का एक हिस्सा कौआ और गाय को खिलाते हैं
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक चैत्र अमावस्या के दिन सुबह किसी पवित्र नदी में स्नान करने के बाद दान किया जाता है। आसपास नदी ना होने पर घर में ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए।जो लोग पितृ दोष से प्रभावित रहते हैं, वे पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान और दान करते हैं। साथ ही ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं। भोजन का एक हिस्सा कौआ और गाय को खिलाते हैं। इसके बाद अंत में पितर से आशीर्वाद लेते हैं. माना जाता है कि ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।