चैत्र अमावस्या को बहुत ही पुनीत माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और निर्बल ,असहाय को दान देने से पितरों की कृपा मिलती है।
Chaitra Amavasya 2022 : चैत्र अमावस्या को बहुत ही पुनीत माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और निर्बल ,असहाय को दान देने से पितरों की कृपा मिलती है। अमावस्या का स्नान दान सूर्योदय के समय से होता है। इस दिन पितृ दोष से मुक्ति के लिए तर्पण और पिंडदान का विशेष फल मिलता है।
इस साल चैत्र अमावस्या की तिथि 31 मार्च दिन गुरुवार को दोपहर 12 बजकर 22 मिनट से शुरू हो रही है, इस तिथि का समापन अगले दिन 01 अप्रैल को दिन में 11 बजकर 53 मिनट पर हो रहा है। ऐसे में चैत्र अमावस्या का स्नान एवं उपाय 01 अप्रैल को होगा।
इस बार चैत्र अमावस्या को विशेष योग बना रहा है। 01 अप्रैल को दिन सुबह से ही ब्रह्म योग बना हुआ है, जो सुबह 09:37 बजे तक है। इसके बाद से इंद्र योग शुरू हो रहा है। ये दोनों ही योग शुभ माने गए हैं। सुबह 10 बजकर 40 मिनट से सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग भी बन रहे हैं।
अमावस्या वाले दिन नदी में स्नान करते हैं, उसके पश्चात चांदी के बने नाग और नागिन की पूजा करते हैं। उनसे कालसर्प दोष से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं। फिर उस नाग और नागिन को बहते जल में प्रवाहित कर देते हैं।