ग्रहण एक विचित्र आकाशीय घटना है। ग्रहण काल का लेकर कई प्रकार की मान्यताएं है। ग्रहण का प्रभाव जीव जगत पर पड़ता है। ग्रहण के प्रभाव से होने वाले अनिष्ट से बचने के लिए धार्मिक ग्रंथों में कई नियम भी बताए गए है।
Chandra Grahan 2023: ग्रहण एक विचित्र आकाशीय घटना है। ग्रहण काल का लेकर कई प्रकार की मान्यताएं है। ग्रहण का प्रभाव जीव जगत पर पड़ता है। ग्रहण के प्रभाव से होने वाले अनिष्ट से बचने के लिए धार्मिक ग्रंथों में कई नियम भी बताए गए है। मान्यता है कि इन नियमों का पालन करने से ग्रहण से होने वाले नुकसान टल जाते है। ग्रहण का असर ब्रह्माण्ड पर पडता है। जीव और जीवन पर भी पड़ता है। ग्रहण का ज्योतिषीय महत्व होता है।
चंद्रग्रहण
नए साल में पहला चंद्रग्रहण 5 मई 2023 को लगेगा। इस दिन शुक्रवार पड़ रहा है और इस दिन वैशाख पूर्णिमा पड़ रही है। उसी दिन बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima 2023) भी मनाई जाएगी। 5 मई को लगने वाला चंद्र ग्रहण भारतीय समय के अनुसार रात के 8:45 से प्रारंभ होगा और देर रात 1:00 बजे समाप्त होगा। ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा यानी चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया सिर्फ एक तरफ रहने के कारण ये ग्रहण हर जगह नहीं देखा जा सकेगा। इसे यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, प्रशांत, अटलांटिक, हिंद महासागर, अंटार्कटिका में देखा जा सकेगा। उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने के कारण इसमें सूतक मान्य नहीं होंगे।
ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचने के लिए मंत्र जाप और दान करना चाहिए। मान्यता है कि ग्रहण काल में किसी मंत्र के जाप से ग्रहण का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है बल्कि उसका कई हजार गुना फल प्राप्त होता है। ग्रहण खत्म होने के बाद पूरे घर में गंगाजल छिड़कना चाहिए। घर में झाड़ू और नमक के पानी का पोछा लगाना चाहिए