पूर्वी लद्दाख में गलवां घाटी में झडप के एक साल पूरे हो गए हैं। इस विवाद के एक साल बाद भी चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आया है। चीनी सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास अब भी डेरा डाले हुए हैं। इस बीच भारत ने भी लंबी अवधि की सोच के साथ मुकाबले की तैयारी की है। विवाद वाले बिंदुओं पर भारतीय और चीनी सैन्य प्रतिनिधियों के बीच 11 दौर की बातचीत हुई है लेकिन अभी कोई ठोस निर्णय नहीं निकला है।
लद्दाख। पूर्वी लद्दाख में गलवां घाटी में झडप के एक साल पूरे हो गए हैं। इस विवाद के एक साल बाद भी चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आया है। चीनी सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास अब भी डेरा डाले हुए हैं। इस बीच भारत ने भी लंबी अवधि की सोच के साथ मुकाबले की तैयारी की है। विवाद वाले बिंदुओं पर भारतीय और चीनी सैन्य प्रतिनिधियों के बीच 11 दौर की बातचीत हुई है लेकिन अभी कोई ठोस निर्णय नहीं निकला है।
वहीं, इस झड़प के एक साल पूरे होने पर आपको बिहार रेजिमेंट के अदम्य साहस और हौसले की कहानी बताते हैं जिसने 15 जून 2020 को गलवां में चीनी पोस्ट को तहस-नहस कर दिया था। बता दें कि, 15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख की गलवां घाटी में भारत और चीन के बीच खूनी झड़प हुई थी।
इस झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे। शहीदों में बिहार रेजिमेंट के कर्नल संतोष बाबू भी शामिल हैं। चीन के भी कई सैनिकों के मारे जाने की खबर है, लेकिन कोई आधिकारिक आंकड़ा अब तक जारी नहीं किया गया है। गौरतलब है कि, विवाद वाले बिंदुओं पर सीमा विवाद को सुलझाने के लिए भारतीय और चीनी सैन्य प्रतिनिधियों के बीच 11 दौर की बातचीत हुई है। बातचीत में दोनों देश इस विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने पर सहमत हो गए हैं।