HBE Ads
  1. हिन्दी समाचार
  2. दुनिया
  3. Climate change: न्यूजीलैंड में इस वर्ष सबसे ज्यादा गर्म रही सर्दियां ,वैज्ञानिकों ने बताया ये प्रमुख कारण

Climate change: न्यूजीलैंड में इस वर्ष सबसे ज्यादा गर्म रही सर्दियां ,वैज्ञानिकों ने बताया ये प्रमुख कारण

विश्व में पर्यावरण को मिल रही चुनौतियों के बीच मौसम का मिजाज बदल रहा है। न्यूजीलैंड में हाल में समाप्त हुआ सर्दियों का मौसम अब तक सबसे गर्म रहा है।

By अनूप कुमार 
Updated Date

वेलिंगटन: विश्व में पर्यावरण को मिल रही चुनौतियों के बीच मौसम का मिजाज बदल रहा है। न्यूजीलैंड में हाल में समाप्त हुआ सर्दियों का मौसम अब तक सबसे गर्म रहा है। खबरों के अनुसार, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉटर एंड एटमॉस्फेरिक रिसर्च (NIWA) ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण न्यूजीलैंड में इस साल अब तक की सबसे गर्म सर्दी दर्ज की है। एनआईडब्ल्यूए ने कहा कि तापमान जून-अगस्त में औसत से 1.32 डिग्री सेल्सियस अधिक था, जिसने पिछले साल स्थापित देश के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया।

पढ़ें :- मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद आतिशी ने बताईं सरकार की प्राथमिकता, कहा-सफल नहीं होने देंगे बीजेपी का षड्यंत्र

न्यूजीलैंड में मौसम के आए परिवर्तन के बारे में वैज्ञानिकों की मानें तो इसका कारण जलवायु परिवर्तन है। न्यूजीलैंड के राष्ट्रीय जल एवं वायुमंडलीय अनुसंधान संस्थान के मुताबिक, अगस्त समेत तीन महीनों में औसत तापमान 9.8 डिग्री सेल्सियस रहा है। यह दीर्घकालिक औसत से 1.3 डिग्री सेल्सियस अधिक है और पिछले वर्ष के अधिकतम तापमान से 0.2 डिग्री सेल्सियस अधिक है।

वैज्ञानिक 1909 से तापमान पर नजर रख रहे हैं लेकिन सर्दियों के वे मौसम हाल के हैं जब तापमान अधिक दर्ज किया गया है। संस्थान के मौसम विज्ञानी नावा फेडेफ ने बताया कि वैश्विक तापमान में वृद्धि की पृष्ठभूमि में, इस वर्ष उत्तर दिशा से अधिक गर्म हवाएं चलीं और समुद्र का तापमान भी अधिक रहा। उन्होंने कहा कि बढ़ते तापमान को कार्बन डाई ऑक्साइड सांद्रता के जरिए देखा जा सकता है। न्यूजीलैंड में कार्बन डाई ऑक्साइड सांद्रता 50 वर्ष पहले 320 भाग प्रति दस लाख (320 पीपीएम) थी जो आज 412 भाग प्रति दस लाख (412 पीपीएम) हो गई है।

कहीं भयंकर बाढ़ आई तो कहीं पर सूखा रहा
मौसम विज्ञानी नावा फेडेफ ने कहा कि मौसम संबंधी अन्य घटनाक्रम भी हुए जैसे कि किसी किसी हिस्से में भयंकर बाढ़ आई तो कहीं पर सूखा रहा। वेलिंगटन के विक्टोरिया विश्वविद्यालय में जलवायु वैज्ञानिक प्रोफेसर जेम्स रेनविक ने कहा कि इससे प्राकृतिक पारिस्थितिकी प्रणालियों पर दबाव पड़ रहा है तथा समय बीतने के साथ साथ और प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा रहेगा। उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम किया जाए।

न्यूजीलैंड के लिए और चिंताएं
जलवायु परिवर्तन की चिंताओं के अलावा, न्यूजीलैंड को कॉर्नोवायरस के डेल्टा संस्करण से भी खतरा है। देश ने शनिवार को डेल्टा संस्करण से अपनी पहली मौत दर्ज की।

पढ़ें :- आपका एक वोट जम्मू-कश्मीर के युवाओं का हौंसला बुलंद करने वाला और महिलाओं के अधिकार की रक्षा करने वाला है: अमित शाह

देश ने 20 से अधिक दैनिक मामले दर्ज किए, सभी मामले ऑकलैंड में है। जिसे महामारी का मूल माना जाता है। फरवरी के मध्य से, यह देश का पहला डेल्टा संस्करण से संबंधित घातक परिणाम है।

Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...