HBE Ads
  1. हिन्दी समाचार
  2. देश
  3. कोरोना संकट: अप्रैल में 22 फीसदी कर्जदार नहीं चुका पाए बैंकों की ईएमआई

कोरोना संकट: अप्रैल में 22 फीसदी कर्जदार नहीं चुका पाए बैंकों की ईएमआई

कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच कर्जदारों की भी मुश्किलें बढ़ गईं हैं। वह बैंकों को अपनी ईएमआई नहीं चुका पा रहे हैं। निजी और सरकारी बैंकों की आंतरिक रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल में उनके 22 फ़ीसदी खुदरा कर्जधारको ने ईएमआई का भुगतान नहीं किया है। अगर ऐसी स्थिति में ग्राहक अगर दो और किस्त नहीं चुका पाते हैं तो बड़ी कर्ज की राशि एनपीएम में चली जाएगी।

By शिव मौर्या 
Updated Date

नई दिल्ली। कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच कर्जदारों की भी मुश्किलें बढ़ गईं हैं। वह बैंकों को अपनी ईएमआई नहीं चुका पा रहे हैं। निजी और सरकारी बैंकों की आंतरिक रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल में उनके 22 फ़ीसदी खुदरा कर्जधारको ने ईएमआई का भुगतान नहीं किया है। अगर ऐसी स्थिति में ग्राहक अगर दो और किस्त नहीं चुका पाते हैं तो बड़ी कर्ज की राशि एनपीएम में चली जाएगी।

पढ़ें :- विपक्ष के समर्थकों के वोट काटने का कुत्सित खेल सिर्फ़ एक चुनाव क्षेत्र में ही नहीं बल्कि हर जगह खेला जा रहा : अखिलेश यादव

बता दें कि, कोरोना की दूसरी लहर में कई राज्यों में लॉकडाउन है। इसके कारण लोगों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। आरबीआई की दो दिन पहले घोषित मोरेटोरियम योजना का लाभ ने उन्हीं कर्जधारकों और व्यापारियों को मिलेगा, जिन्होंने न तो पिछले साल इसका लाभ लिया था और न ही कोई डिफॉल्ट किया है।

बैंकिंग नियमों के मुताबिक 90 दिन तक ईएमआई न देने पर कर्ज को नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट (एनपीए) घोषित कर दिया जाता है।बैंकों की कर्ज वसूली पर इसलिए भी असर पड़ा है। क्योंकि दूसरी लहर में कई बैंक कर्मचारी संक्रमित हो गए।

साथ ही कई शहरों में लॉकडाउन की वजह से लोन विभाग का काम ठप हो गया है। बैंक के अधिकारियों की माने तो इस समय बैंक 3.5 और 4 फीसदी मार्जिन पर काम कर रहे हैं। ऐसे में 20-22 फीसदी कर्ज डूबने से ब्याज तो जाएगा ही मूलधन का भी नुकसान होगा और बैलेंस शीट बिगड़ जाएगी।

 

पढ़ें :- GST Council Meeting : अब पुरानी कार खरीदने पर देना होगा 18% जीएसटी, जानिए आप पर क्या होगा असर

Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...