HBE Ads
  1. हिन्दी समाचार
  2. उत्तर प्रदेश
  3. CSIR-CIMAP : Tryambakeshwar Jyotirlinga Temple Nashik में चढ़ावे के फूलों से अब बनेंगी अगरबत्ती व कोन

CSIR-CIMAP : Tryambakeshwar Jyotirlinga Temple Nashik में चढ़ावे के फूलों से अब बनेंगी अगरबत्ती व कोन

सीएसआईआर- केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (CSIR-CIMAP),लखनऊ द्वारा फूलों से अगरबत्ती बनाने की तकनीकी को आनंद फ़ाउंडेशन, नाशिक को मंगलवार को हस्तांतरित की। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण अनुबंध पर सीएसआईआर - सीमैप के प्रशासनिक नियंत्रक भास्कर ज्योति देउरी व आनंद फ़ाउंडेशन, नाशिक के प्रमुख अपूर्वा प्रकाश वैद्य ने हस्ताक्षर किए।

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। सीएसआईआर- केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (CSIR-CIMAP),लखनऊ द्वारा फूलों से अगरबत्ती बनाने की तकनीकी को आनंद फ़ाउंडेशन, नाशिक को मंगलवार को हस्तांतरित की। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण अनुबंध पर सीएसआईआर – सीमैप के प्रशासनिक नियंत्रक भास्कर ज्योति देउरी व आनंद फ़ाउंडेशन, नाशिक के प्रमुख अपूर्वा प्रकाश वैद्य ने हस्ताक्षर किए।

पढ़ें :- Maharashtra Exit Poll: महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन को ​सबसे ज्यादा मिल रहीं सीटें, महाविकास अघाडी को झटका

आनंद फ़ाउंडेशन नाशिक (Anand Foundation Nashik) के द्वारा गोदावरी नदी के तट पर स्थित मंदिर त्रयम्ब्केश्वर सोमेश्वर वणी (सप्तश्रंगी देवी), कालाराम मंदिर, कपालेश्वर आदि मंदिरों में चढ़े फूल एकत्रित करके अगरबत्ती, धूप, कोन बनाने की शीघ्र शुरुआत करने जा रहे हैं। आनंद फ़ाउंडेशन, नाशिक (Anand Foundation Nashik) के प्रमुख अपूर्वा प्रकाश वैद्य ने बताया कि महाराष्ट्र में त्योहार जैसे गणपति उत्सव/घटस्थापना उत्सव में बृहद रूप से फूलों उपयोग किया जाता है। इसके बाद में इन फूलों को नदी व तालाबों में विसर्जित किया जाता है। जिससे प्रदूषण होता है। परंतु अब आनंद फ़ाउंडेशनए नाशिक के द्वारा इन फूलों का सदुपयोग कर अगरबत्ती, धूप, कोन आदि बनाया जाएगा।

मंदिरों मे चढ़े फूलों से निर्मित सुगंधित अगरबत्ती एवं कोन पूर्णतया हर्बल एवं सुगंधित तेलों द्वारा निर्मित होने के कारण इसका शरीर पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। आनंद फ़ाउंडेशन के संयोजक प्रवीन पगारे ने बताया कि नाशिक तथा आस-पास के प्रमुख मंदिरों में 2 टन फूल प्रतिदिन चढ़ते हैं। जिसको अभी कचरे में या खाद बनाने के प्रयोग में लाया जाता है, परंतु अब इसका उपयोग अगरबत्ती तथा कोन बनाने में होगा जिससे वातावरण की साफ एवं सुरक्षित होगे तथा आस-पास को महिलाओं को रोजगार भी मिलेगा ।

सीएसआईआर-सीमैप के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी (Dr. Prabodh Kumar Trivedi, Director, CSIR-CIMAP)  ने बताया कि इन उत्पादों को सीएसआईआर-सीमैप (CSIR-CIMAP) द्वारा वैज्ञानिक रूप से परीक्षण किया गया है। ये उत्पाद ज्यादातर मंदिर में चढ़े फूलों से तथा सुगंधित तेलों से बने होते हैं। इस संस्थान द्वारा उनके उत्पादन से देश में फूलों की खेती करने वाले किसानों को भी आर्थिक लाभ होगा । इस मौके पर डॉ. रमेश के. श्रीवास्तव, प्रमुख, व्यापार विकास विभाग ने बताया कि इस तकनीक से उत्तर प्रदेश के कई शहरों जैसे गोरखपुर, अयोध्या, बनारस, लखनऊ एवं लखीमपुर में यह कार्य महिलाओं के साथ-साथ जिला कारागार में भी इसके प्रशिक्षण आयोजित कर महिलाओं को रोजगार प्रदान किया जा रहा है। अब यह कार्य महाराष्ट्र में भी किया जाएगा। इस अवसर पर भास्कर देउरी, प्रशासनिक नियंत्रक, डॉ. विक्रांत गुप्ता, डॉ. राम सुरेश शर्मा आदि भी मौजूद थे ।

पढ़ें :- अगर गलती से भी महाराष्ट्र में अघाड़ी की सरकार आ गई तो, अपना समृद्ध प्रदेश कांग्रेस का ATM बन जाएगा : अमित शाह
इन टॉपिक्स पर और पढ़ें:
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...