यूपी (UP) के आगरा जिले में बड़ी संख्या में पेड़ों को काटने के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को कहा कि किसी इंसान की हत्या से भी बदतर है। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वालों पर कोई दया नहीं दिखाई जानी चाहिए।
नई दिल्ली। यूपी (UP) के आगरा जिले में बड़ी संख्या में पेड़ों को काटने के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को कहा कि किसी इंसान की हत्या से भी बदतर है। पर्यावरण को नुकसान (Damage to the Environmen) tपहुंचाने वालों पर कोई दया नहीं दिखाई जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) ने आगरा के ताज महल (Taj Mahal) के आस-पास अवैध रूप से काटे गए प्रत्येक पेड़ के लिए एक लाख रुपए का जुर्माना लगाने को मंजूरी दी है। साथ ही जुर्माने के खिलाफ लगाई गई याचिका को खारिज कर दिया। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने स्पष्ट किया कि कोई भी व्यक्ति संबंधित अधिकारी या संस्थान से अनुमति लिए बिना पेड़ नहीं काट सकता। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) एक याचिका की सुनवाई कर रहा था, जिसमें एक व्यक्ति ने पेड़ काटने पर जुर्माना लगाने पर जुर्माना और कार्रवाई न करने की मांग की थी।
पेड़ों की कटाई को हल्के में नहीं लिया जा सकता
बेंच ने सीनियर एडवोकेट एडीएन राव के सुझाव को स्वीकारा कि अपराधियों को यह स्पष्ट संदेश दिया जाना चाहिए कि कानून और पेड़ों को हल्के में नहीं लिया जा सकता और न ही लिया जाना चाहिए। कोर्ट ने अपने आदेश में इस बात का बेंचमार्क भी तय किया है कि ऐसे मामलों में कितना जुर्माना लगाया जाना चाहिए।
454 पेड़ काटने पर प्रति पेड़ 1 लाख रुपए जुर्माना
न्यायालय ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) की रिपोर्ट स्वीकार कर ली है, जिसमें शिव शंकर अग्रवाल ने पिछले साल काटे गए 454 पेड़ों के लिए प्रति पेड़ 1 लाख रुपए (कुल 4.54 करोड़) का जुर्माना लगाया गया था। अग्रवाल का केस लड़ रहे सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने पीठ को बताया कि उनके मुवक्किल ने गलती स्वीकार कर ली है और माफी मांगी है। साथ ही कोर्ट से जुर्माना राशि कम करने का आग्रह किया है, जिसे उन्होंने बहुत ज्यादा बताया है। मुकुल रोहतगी (Mukul Rohatgi) ने कहा कि अग्रवाल को उस जमीन पर नहीं, बल्कि पास के किसी स्थान पर भी पौधरोपण करने की अनुमति दी जानी चाहिए। कोर्ट ने जुर्माना राशि कम करने से इनकार कर दिया। पास के क्षेत्रों में पौधरोपण करने की अनुमति दे दी।
जानें क्या है ताज ट्रेपेजियम जोन?
ताज ट्रेपेजियम जोन (TTZ) उत्तर प्रदेश के आगरा में ताजमहल और अन्य विरासत स्मारकों के आसपास 10,400 वर्ग किलोमीटर का संरक्षित क्षेत्र है। इन ऐतिहासिक स्थलों को खतरे में डालने वाले प्रदूषण और पर्यावरणीय गिरावट को रोकने के लिए इसकी स्थापना की गई थी। अदालत ने 1996 में TTZ में बड़े पैमाने पर पौधरोपण का निर्देश दिया था।