नई दिल्ली। वो व्यक्ति जिनकी मौत तो रहस्यमयीं हुई पर पूरा उनका जीवन एक खुली किताब की तरह था। हम बात कर रहे है भारत रत्न, देश के दूसरे प्रधानमंत्री, एक सच्चे गांधीवादी, जवानोंं और किसानों को एक तराजू पर रख कर तौलने वाले, अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल में हुए भारत और पाकिस्तान के बिच हुए युद्ध में जीत दिलाने वाले लाल बहादुर शास्त्री की।
शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को मुगलसराय (वाराणसी) में हुआ था। इनके पिता का नाम मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव तथा माता का नाम राम दुलारी था। जब शास्त्री 18 वर्ष के थे तब उनके पिता की मृत्यु हो गयी। इस घटना के बाद इनका पूरा परिवार ननिहाल में रहने चला आया। यही इनकी प्रारम्भिक शिक्षा पूरी हुई। उसके बाद की शिक्षा हरिश्चन्द्र हाई स्कूल और काशी विद्यापीठ में हुई।
शास्त्री ने ही जय जवान जय किसान का महत्वपूर्ण नारा देश को दिया था। 1962 के युद्ध में चीन से मिली हार के जख्म अभी हरे थे। 1965 में अचानक पाकिस्तान ने शाम में 7 बजे भारत पर हमला कर दिया। तीनों सेनाओं के सेनापतियों से सलाह ले पाक पर अक्रामक कारवाई करने की इजाजत दे दी।
भारत की सेना ने पाकिस्तान की सेना को धुल चटातें हुए लाहौर पर कब्जा जमा लिया। भारत ये युद्ध जीत चुका था। अमेरिका ने भारत से युद्ध विराम करने को कहा। इसके पश्चात सोवियत संघ रूस में आंतराष्ट्रीय बैठक बुलाई गयी। जिसमें अमेरिका ने भारत से पाकिस्तान उसे वापस सौपनें को कहा।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अयूब खान के साथ युद्ध विराम पर हस्ताक्षर करने के कुछ घण्टे बाद शास्त्री की हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई। आरोप ये भी लगते है की उन्हे जहर दे कर मारा गया था। शास्त्री को उनकी सादगी, देशभक्ति, ईमानदारी के लिए आज भी उन्हे देश याद करता है। उन्हे 1966 में मरणोपरान्त भारत रत्न दे कर सम्मानित किया गया।