सनातन धर्म में व्रत, उपवास का नियम पालन करने की पंरपरा बहुत पुरानी है। भक्त गण् अपने अराध्य की सेवा पूजा में कठिन से कठिन व्रत उपवास का नियम पालन करते है।
Devshayani Ekadashi 2022 : सनातन धर्म में व्रत, उपवास का नियम पालन करने की पंरपरा बहुत पुरानी है। भक्त गण् अपने अराध्य की सेवा पूजा में कठिन से कठिन व्रत उपवास का नियम पालन करते है। पौराणिक मान्यता है कि जो भक्त अपने आराध्य की सेवा पूजा करता है उसकी सभी मनोकमना पूर्ण होती है। व्रत की श्रंखला में एकादशी के पावन व्रत की बड़ी महिमा है। धर्म ग्रंथों मं वर्णित है कि भगवान श्री नारायण को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए एकादशी व्रत का पालन किया जाता है। देवशयनी एकादशी का व्रत (Devshayani Ekadashi Vrat) आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। मान्यता है कि देवशयनी एकादशी के दिन से अगले 4 महीने के लिए भगवान विष्णु पाताल लोक में योग निद्रा में चले जाते हैं।
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी देवशयनी एकादशी इस बार 10 जुलाई 2022 को है। हिंदू पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि 9 जुलाई को शाम 4 बजकर 40 मिनट पर प्रारंभ होगी और 10 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 14 मिनट तक रहेगी। एकादशी का व्रत 10 जुलाई को रखा जाएगा।
एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु की पूजा में उन्हें तुलसी जरूर अर्पित किया जाता है। भगवान विष्णु को धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित किया जाता है, साथ ही साथ मां लक्ष्मी को भी ये सभी पूजन की वस्तुएं अर्पित की जाती है। पूजन के बाद क्रमशः भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आरती की जाती है। एकादशी के दिन पूर्ण रूप से फलाहार ग्रहण किया जाता है।