व्रत की श्रंखला में एकादशी के पावन व्रत की बड़ी महिमा है। धर्म ग्रंथों में वर्णित है कि भगवान श्री नारायण को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए एकादशी व्रत का पालन किया जाता है।
Devshayani Ekadashi 2023 : व्रत की श्रंखला में एकादशी के पावन व्रत की बड़ी महिमा है। धर्म ग्रंथों में वर्णित है कि भगवान श्री नारायण को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए एकादशी व्रत का पालन किया जाता है। देवशयनी एकादशी हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को होती है। देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी, पद्मा एकादशी और आषाढ़ी एकादशी के नाम से भी जानते हैं। पौराणिक मान्यता है कि देवशयनी एकादशी के दिन से अगले 4 महीने के लिए भगवान विष्णु पाताल लोक में योग निद्रा में चले जाते हैं,
और लगभग चार माह के बाद भगवान विष्णु को परंपरागत तरीके से अपने शयनकाल से जगाना पड़ता है, जिसे हिन्दू धर्म में देवोत्थान एकादशी कहा गया है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, ये दिन विशेषरूप से भगवान विष्णु को समर्पित होता है।
देवशयनी एकादशी 2023 मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, इस साल 29 जून गुरुवार को तड़के 03 बजकर 18 मिनट से आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि शुरू हो रही है। इसकी समाप्ति 30 जून शुक्रवार को तड़के 02 बजकर 42 मिनट पर होगी। ऐसे में उदयातिथि का विचार करें तो देवशयनी एकादशी का व्रत 29 जून गुरुवार को रखा जाएगा।
एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु की पूजा में उन्हें तुलसी जरूर अर्पित किया जाता है। भगवान विष्णु को धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित किया जाता है, साथ ही साथ मां लक्ष्मी को भी ये सभी पूजन की वस्तुएं अर्पित की जाती है। पूजन के बाद क्रमशः भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आरती की जाती है। एकादशी के दिन पूर्ण रूप से फलाहार ग्रहण किया जाता है।