बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने गुरुवार को राज्य में जातिगत जनगणना मुद्दे को लेकर बीजेपी और केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि बीजेपी को पिछड़े और अतिपिछड़े वर्गों से इतनी नफ़रत क्यों है? तेजस्वी ने कहा कि जब तक पिछड़े वर्गों की वास्तविक संख्या पता नहीं चलेगी तब तक उनके फायदे की योजनाएं कैसे बनेगी?
पटना। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने गुरुवार को राज्य में जातिगत जनगणना मुद्दे को लेकर बीजेपी और केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि बीजेपी को पिछड़े और अतिपिछड़े वर्गों से इतनी नफ़रत क्यों है? तेजस्वी ने कहा कि जब तक पिछड़े वर्गों की वास्तविक संख्या पता नहीं चलेगी तब तक उनके फायदे की योजनाएं कैसे बनेगी?
यादव ने कहा कि बिहार के दोनों सदनों में बीजेपी जातीय जनगणना का समर्थन करती है, लेकिन संसद में बिहार के ही कठपुतली मात्र पिछड़े वर्ग के राज्यमंत्री से जातीय जनगणना नहीं कराने का एलान कराती है। केंद्र सरकार ओबीसी की जनगणना क्यों नहीं कराना चाहती? तेजस्वी यादव ने बीजेपी पर हमला करते हुए पूछा कि बीजेपी को पिछड़े/अतिपिछड़े वर्गों से इतनी नफ़रत क्यों है? नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि कुत्ता-बिल्ली, हाथी-घोड़ा, शेर-सियार, साइकिल-स्कूटर सबकी गिनती होती है।
जब तक पिछड़े वर्गों की वास्तविक संख्या ज्ञात नहीं होगी तो उनके कल्यानार्थ योजनाएँ कैसे बनेगी?उनकी शैक्षणिक,सामाजिक,राजनीतिक और आर्थिक बेहतरी कैसे होगी? उनकी संख्या के अनुपात में बजट कैसे आवंटित होगा? वो कौन लोग है जो नहीं चाहते कि देश के संसाधनों में से सबको बराबर का हिस्सा मिले?
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) July 22, 2021
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केंद्र सरकार कौन किस धर्म का है, उस धर्म की संख्या कितनी है इसकी गिनती करवाती है। लेकिन उस धर्म में निहित वंचित, उपेक्षित और पिछड़े समूहों की संख्या गिनने में क्या परेशानी है? उनकी जनगणना के लिए फ़ॉर्म में महज एक कॉलम जोड़ना है। तेजस्वी यादव ने कहा कि जातीय जनगणना के लिए हमारे दल ने लंबी लड़ाई लड़ी है। वह इसे लड़ते रहेंगे। उन्होंने कहा कि यह देश के बहुसंख्यक यानि लगभग 65 फ़ीसदी से अधिक वंचित, उपेक्षित, उपहासित, प्रताड़ित वर्गों के वर्तमान और भविष्य से जुड़ा मुद्दा है। तेजस्वी ने कहा कि सरकार पिछड़े वर्गों के हिंदुओं को क्यों नहीं गिनना चाहती? क्या वो हिंदू नहीं है?
नेता प्रतिपक्ष ने जातिगत जनगणना की मांग करते हुए कहा कि जब तक पिछड़े वर्गों की वास्तविक संख्या ज्ञात नहीं होगी तो उनके कल्यानार्थ योजनाएं कैसे बनेगी? उनकी शैक्षणिक, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक बेहतरी कैसे होगी? उनकी संख्या के अनुपात में बजट कैसे आवंटित होगा? वह कौन लोग है जो नहीं चाहते कि देश के संसाधनों में से सबको बराबर का हिस्सा मिले?