नई दिल्ली: चाणक्य नीति बोलती है कि धन की देवी लक्ष्मी का व्यवहार बेहद ही चंचल है। जहां अच्छे कामों को करने से लक्ष्मी जी का आर्शीवाद मिलता हैं वहीं गलत कामों को करने से लक्ष्मी खफा हो जाती हैं एवं उस जगह को छोड़कर चली जाती हैं। इसलिए गलत कामों को कभी नहीं करना चाहिए।
लक्ष्मी जी उन व्यक्तियों को अपना आर्शीवाद देती हैं जो मानव कल्याण के बारे में सोचते हैं और कोशिश करते हैं। धन का उपयोग जो व्यक्ति दूसरों को कष्ट देने तथा हानि पहुंचाने के लिए करते हैं, उनका साथ लक्ष्मी जी बेहद शीघ्र छोड़ देती हैं। वही गीता के उपदेश में भी परोपकार के बारे में बताया है। प्रभु श्रीकृष्ण कुरुक्षेत्र में अर्जुन को उपदेश देते हुए बोलते हैं कि परोपकार करते वक़्त किसी तरफ के प्रतिफल की इच्छा नहीं रखना चाहिए।
जो लोग परोपकार करते हैं मतलब दूसरों की सहायता करते हैं। संसाधनों का इस्तेमाल लोक के कल्याण के लिए करते हैं वे हमेशा के लिए अमर हो जाते हैं। ऐसे भक्तों की हर जगह पर प्रशंसा होती है। मान सम्मान मिलता हैं। किन्तु कुछ ऐसे काम हैं जिन्हें भूलकर भी नहीं करना चाहिए। इन कार्यों को करने से लक्ष्मी जी नाराज होती हैं।
चाणक्य के मुताबिक, धोखा देने वाले शख्स को समाज में सम्मान नहीं मिलता है। ऐसे लोगों पर सहज भरोसा करना कठिन होता है। धोखा देना अच्छी बात नहीं है। इसे बेहद ही बुरा माना गया है। धोखा देने वाले लोगों को लक्ष्मी जी पसंद नहीं करती हैं और वक़्त आने पर ऐसे व्यक्तियों का साथ छोड़ देती हैं।
लक्ष्मी जी ऐसे भक्तों को पसंद नहीं करती हैं जो धन का दिखावा करता है। धन का इस्तेमाल सामने वाले शख्स को नीचा दिखाने के लिए कभी नहीं करना चाहिए।
धन की अहमियत जानना बेहद आवश्यक है। धनवान शख्स भी धन की अहमियत नहीं जानते हैं। धन का इस्तेमाल बेहद ही सतर्कता से करना चाहिए। बुरे समय में जब सब साथ छोड़ देते हैं तब धन ही सच्चे मित्र का किरदार निभाता है। इसलिए धन की अहमियत को जानना चाहिए तथा इसका संचय करना चाहिए।