aaaaउत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में गोरखपुर के कुछ तथाकथित पत्रकारों का दबदबा बीते कई वर्षों से बना हुआ है। ये तथाकथित पत्रकार विभाग के हर काम में अपना दखल देकर दलाली करने में मसगूल हैं। सीएमओ के ट्रांसफर पोस्टिंग से लेकर दवा की खरीद फरोख्त में भी इनका सिक्का खूब चल रहा है। मायावती शासनकाल से ही स्वास्थ्य विभाग में इनका दखल जारी है।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में गोरखपुर के कुछ तथाकथित पत्रकारों का दबदबा बीते कई वर्षों से बना हुआ है। ये तथाकथित पत्रकार विभाग के हर काम में अपना दखल देकर दलाली करने में मसगूल हैं। सीएमओ के ट्रांसफर पोस्टिंग से लेकर दवा की खरीद फरोख्त में भी इनका सिक्का खूब चल रहा है। मायावती शासनकाल से ही स्वास्थ्य विभाग में इनका दखल जारी है। यही नहीं सीएमओ के द्वारा की जाने वाली खरीदारी में भी किस कंपनी से क्या खरीदा जाएगा ये सब भी यही तय करते हैं? शासन—प्रशासन तक इन तथाकथित पत्रकारों की शिकायत पहुंच चुकी है लेकिन इन पर कार्रवाई के वजाए ये सुरक्षा लिए हुए घूमकर लोगों को ब्लैकमेल करने का काम कर रहे हैं।
सबसे बड़ी बात ये है कि, स्वास्थ्य विभाग में खेल करने वाले इन तथाकथित पत्रकारों की जांच एसटीएफ से लेकर विजिलेंस तक कर रही है, जो अभी लंबित है। इनके द्वारा शासन और प्रशासन की आंख में धुल झोंकर सुरक्षा भी ली गई है। ये खुद की जान का खतरा बताते हैं। सबसे बड़ी बात है कि इनके ही खिलाफ ही संगीन धाराओं में एफआईआर दर्ज है। इसके बाद भी इनको सुरक्षा प्रदान की जाती है, जो बड़ा सवाल उठाती है।
सबसे बड़ी बात ये है कि, स्वास्थ्य विभाग में अधिकारियों से मिलीभगत कर खेल करने वाले ये तथाकथित पत्रकार कई चैनलों की फ्रेंचाइजी भी लिए हैं और उसके जरिए लोगों को ब्लैकमेल करते हैं। ऐसे में आखिर पीड़ित किससे न्याय की उम्मीद करें। अगर इनका सिक्का स्वास्थ्य विभाग में ऐसे ही चलता रहेगा तो रामराज्य की बात का क्या मतलब है? ऐसे में सवाल उठता है कि, प्रमुख सचिव गृह जो सुरक्षा देते हैं प्रमुख सचिव सूचना, निदेशक सूचना और प्रमुख सचिव स्वास्थ्य आंखें मूंदकर इनको बढ़ावा दे रहे हैं।
यही नहीं, ये अधिकारी इनकी कारगुजारी न देख पा रहे हैं और न ही इन पर कार्रवाई कर रहे हैं। इसके जरिए ही ये अकूत संपत्ति के मालिक भी बन गए हैं। इनकी शिकायत शासन के उच्च अधिकारियों तक पर्दाफाश न्यूज की तरफ से कई बार की गई लेकिन अभी तक कार्रवाई नहीं की गयी है। ऐसे में अगर ऐसे भ्रष्ट लोग स्वास्थ्य विभाग में दखल देंगे तो बड़ा सवाल खड़ा होता रहेगा। इसका संज्ञान मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव लें और इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।