ईद-उल-अजहा यानी बकरीद का त्यौहार मुस्लिम धर्म के लोग बड़े जोश और उत्साह के साथ मनाते हैं। इस खास त्यौहार का इस्लाम में बड़ा ही महत्व है। ईद उल फितर के ठीक 70 दिन बाद बकरीद का त्यौहार आता है।
नई दिल्ली: ईद-उल-अजहा यानी बकरीद का त्यौहार मुस्लिम धर्म के लोग बड़े जोश और उत्साह के साथ मनाते हैं। इस खास त्यौहार का इस्लाम में बड़ा ही महत्व है। ईद उल फितर के ठीक 70 दिन बाद बकरीद का त्यौहार आता है। इस साल ईद-उल-अज़हा का त्योहार 21 जुलाई को मनाया जाएगा। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक ईद-उल-अज़हा 12वें महीने की 10 तारीख को मनाई जाती है। इस्लाम मजहब में इस माह की बहुत अहमियत है। इसी महीने में हज यात्रा भी की जाती है।
इस्लाम में बकरीद की खास मान्यता है। इस दिन लोग पैगंबर हजरत इब्राहिम की कुर्बानी को याद करते हैं जो सच्चाई के लिए अपना सब कुछ कुर्बान करने को तैयार हो गए थे। कहते हैं खुदा के कहने पर वे अपने बेटे की कुर्बानी देने जा रहे थे लेकिन उनकी वफादारी और सच्चाई देख कर खुदा ने उन्हें रोक दिया था जिसके बाद उन्होंने एक बकरे की कुर्बानी दी थी।
इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग बकरीद के दिन सुबह जल्दी उठकर नहा धोकर नए कपड़े पहन कर ईदगाह में ईद की नमाज़ अदा करते हैं। नमाज़ के बाद एक दूसरे से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देते हैं । और इसके बाद जानवरों की कुर्बानी का सिलसिला शुरू हो जाता है। कुर्बानी जिसे तीन हिस्सों में बांटा जाता है। सबसे पहला हिस्सा गरीबों को दान करने के लिए निकालते हैं। उसके बाद का हिस्सा रिश्तेदारों के लिए होता है, तीसरा और आखिरी हिस्सा परिवार वालों के लिए होता है। इस दिन गरीबों को पेट भर कर खाना खिलाया जाता है जिसे इस्लाम में खुदा की इबादत माना जाता है।