बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह (BJP MP Brij Bhushan Sharan Singh) के बेटे और कैसरगंज लोकसभा सीट (Kaiserganj Lok Sabha Seat) से करणभूषण सिंह (Karanbhushan Singh) को इस बार मैदान में उतारा है। इनके खिलाफ प्रशासन की ओर से आचार संहिता (Code of Conduct) उल्लंघन के मामले में तरबगंज थाने में एफआईआर दर्ज (FIR Lodged) कराई गई है।
गोण्डा। बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह (BJP MP Brij Bhushan Sharan Singh) के बेटे और कैसरगंज लोकसभा सीट (Kaiserganj Lok Sabha Seat) से करणभूषण सिंह (Karanbhushan Singh) को इस बार मैदान में उतारा है। इनके खिलाफ प्रशासन की ओर से आचार संहिता (Code of Conduct) उल्लंघन के मामले में तरबगंज थाने में एफआईआर दर्ज (FIR Lodged) कराई गई है। मुकदमे में करण भूषण को नामजद करते हुए अज्ञात को भी आरोपी बनाया गया है।
आरोप है कि बिना अनुमति वाहनों का काफिला निकालने के साथ ही उनके समर्थक आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) और निषेधाज्ञा कानून की सरेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। तरबगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत बेलसर बाजार में शनिवार को काफिले में समर्थकों ने आतिशबाजी की थी। जांच के बाद डीएम के आदेश पर यह मुकदमा दर्ज कराया गया है। जिला निर्वाचन अधिकारी नेहा शर्मा (District Election Officer Neha Sharma) ने आचार संहिता उल्लंघन (Code of Conduct Violation) और बिना अनुमति काफिला निकालने के मामले को गंभीरता से संज्ञान लिया है।
रविवार शाम करीब 7:00 बजे तरबगंज विधानसभा एफएसटी प्रभारी डॉ. सुमित कुमार (Tarabganj Assembly FST in-charge Dr. Sumit Kumar) की ओर से एफआईआर दर्ज कराई गई है। आचार संहिता और निषेधाज्ञा लागू होने के बावजूद बेलसर चौराहे पर उनके काफिले में मल्टी शॉट क्रैकर फोड़े गए थे। इतना ही नहीं बिना अनुमति दर्जनों वाहनों के काफिले निकालकर शक्ति प्रदर्शन किया गया साथ ही सोशल मीडिया अकाउंट से वीडियो भी शेयर की गई।
गौरतलब है कि कैसरगंज सांसद व भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह (Bhushan Sharan Singh) विगत कई दिनों से सुर्खियों में बने हैं। पहलवानों के यौन शोषण के आरोपों से घिरे बृजभूषण को इस बार भाजपा हाईकमान ने टिकट नहीं दिया। उनके बेटे करण भूषण सिंह (Karanbhushan Singh) को उनकी जगह पर चुनाव मैदान में उतारा है।
आरोप है कि पिता बृजभूषण शरण सिंह (Bhushan Sharan Singh) की छवि और प्रभाव को कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र (Kaiserganj Lok Sabha Constituency) में ग्लैमर के रूप में जमकर इस्तेमाल हो रहा है। बिना अनुमति दर्जनों वाहनों के काफिले निकाले जा रहे हैं। आरोप है कि पुलिस प्रशासन रोकने के बजाय मूकदर्शक बना हुआ है। बिना अनुमति जगह-जगह स्वागत और कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।
जिला निर्वाचन अधिकारी के संज्ञान लेने के बाद मामले में केस दर्ज हुआ है। इंस्पेक्टर समशेर बहादुर सिंह (Inspector Samsher Bahadur Singh) के मुताबिक, मामले की जांच के लिए उपनिरीक्षक सुनील कुमार तिवारी (Sub Inspector Sunil Kumar Tiwari) मामले की विवेचना करेंगे। आचार संहिता उल्लंघन (Code of Conduct Violation) की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच कर रहे हैं।
मुकदमे के बाद की जाएगी विधिक कार्रवाई : सीओ
तरबगंज सर्किल के पुलिस क्षेत्राधिकारी सौरभ वर्मा ने मुकदमा लिखे जाने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि कैसरगंज से भाजपा प्रत्याशी करणभूषण सिंह के खिलाफ बिना अनुमति के काफिला निकालने, स्वागत के दौरान सिलसिलेवार पटाखा दगाने के चलते आदर्श आचार संहिता उल्लंघन की धाराओं में थाना तरबगंज में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। आगे की विधिक कार्रवाई की जा रही है।
बृजभूषण के अंदाज में ही बिना अनुमति दौड़ रहा काफिला
गोंडा, बलरामपुर और कैसरगंज से 30 साल सांसद और 12 साल डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष रहे बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh)के अंदाज में ही भाजपा प्रत्याशी व उनके बेटे करण भूषण सिंह और समर्थक प्रशासन के लिए लगातार चुनौती बन रहे हैं। पिछले दिनों प्रशासन ने कैसरगंज सांसद बृजभूषण सिंह (Kaiserganj MP Brij Bhushan Singh) के खिलाफ खरगूपुर थाने में आचार संहिता उल्लंघन (Code of Conduct Violation) का मामला दर्ज कराया था। लगातार भाजपा प्रत्याशी करणभूषण सिंह और उनके समर्थक आचार संहिता और निषेधाज्ञा कानून की धज्जियां उड़ाते रहे हैं। उच्चाधिकारियों के संज्ञान लेने के बाद अब तक कोई कार्रवाई हो सकी है।
कैसरगंज में आचार संहिता की सरेआम उड़ाई जा रही धज्जियां
भले ही प्रशासन की ओर से सिंगल विंडो (Single Window) स्थापित कर सभा और चुनाव प्रचार करने के लिए अनुमति लेने की व्यवस्था दी हो। मगर किसी भी राजनीतिक दल की ओर से सभा और गाड़ियों के लिए अनुमति तक नहीं ली जा रही है। 14 अप्रैल अंबेडकर जयंती पर भाजपा ने सभा के लिए अनुमति ली थी। इसी तरह से 19 अप्रैल को सपा की ओर से अनुमति ली गई। अगर इसके बाद सिंगल विंडो (Single Window) से कोई अनुमति नहीं ली गई है। ऐसे में प्रशासन राजनीतिक दलों के कार्यक्रम और सभाओं से बेखबर रह रहा है तो वहीं पुलिस प्रशासन तमाशबीन बनी हुई है।