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स्वास्थ्य विभाग उत्तर प्रदेश: ईमानदार प्रमुख सचिव के अधिकारियों पर ‘दागदार फैसले’ 

मुख्य चिकित्सा अधिकारीयों की तैनाती हुई उसमें से ज्यादातर ​तैनाती विवादित रही है। अभी हाल में ही पांच जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी तैनात हुए जिसमें विभाग के सभी नियम कानून ताख पर रख दिए गए,

By टीम पर्दाफाश 
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लखनऊ। कुछ समय भारतीय मीडिया में एक विज्ञापन बहुत प्रसिद्ध हुआ था, ‘दाग अच्छे हैं’…वैसे तो वो एक विज्ञापन है लेकिन उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव की कार्यशैली पर विज्ञापन बिल्कुल सही बैठता है। पूरे प्रदेश में माना जाता है कि, स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा बेहद ही ईमानदार प्रवृति के अधिकारी हैं और योगी सरकार के जीरो टॉलरेंस नीति के तहत कार्य करते हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग को जिस तरीके से चला रहे हैं उसको देखकर तो यही लगता है कि या तो इनकी ईमानदारी संदेह के घेरे में है या विभाग के फैसले कोई और ले रहा है। हो सकता है किसी के दबाव में ईमानदार प्रमुख सचिव अपने सही फैसले नहीं ले पा रहे हैं।

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दरअसल, इनके कार्यालय में जितने भी मुख्य चिकित्सा अधिकारीयों की तैनाती हुई उसमें से ज्यादातर ​तैनाती विवादित रही है। अभी हाल में ही पांच जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी तैनात हुए जिसमें विभाग के सभी नियम कानून ताख पर रख दिए गए, जिसकी खबर पर्दाफाश न्यूज पहले ही आपको बता चुका है। इन्हीं के कार्याकाल में जनपद गोंडा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के तौर पर डॉ. रश्मि वर्मा की तैनाती हुई थी। 28 मार्च 2024 को इनके ऊपर दवाओं की खरीद और टेंडर में अनियमितता के चलते विभागीय जांच संस्थित की गयी थी। विभागीय जांच के अधीन आने वाला कोई भी अधिकारी अपने पद पर जांच के दौरान नहीं रह सकता है और इसका शासनादेश भी है। लेकिन आखिर क्या कारण है कि, विभागीय जांच के बावजूद डॉ. रश्मि वर्मा इतने दिनों से गोंडा में मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पद पर बनी रहीं।

इसी तरह का मामला मुख्यमंत्री के गृह जनपद गोरखपुर के महिला ​जिला चिकित्सालय का भी है। यहां कार्यवाहक प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक के पद पर डॉ. जय कुमार तैनात हैं। डॉ. जय कुमार के ऊपर अस्पताल के औषिधी क्रय के दौरान किए गए अनियमितता/कदाचार और अनुशासनहीनता के विरूध जांच चल रही है। मुख्यमंत्री के गृह शहर होने के बावजूद इतने भ्रष्ट अधिकारी को जिला महिला चिकित्सालय की प्रमुख बनाए रखने की क्या मजबूरी होगी ये तो ईमानदार प्रमुख सचिव महोदय ही बता सकते हैं।

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जिला महिला ​चिकित्सालय पीलीभीत में कार्यरत मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेश कुमार के ऊपर कोविड के दौरान पद का दुरूपयोग अनियमितता/कदाचार और पदीय दायित्वों के विरुध कार्य करने के आरोप लगे और जांच में ये सभी आरोप सही पाए गए। डॉ. राजेश को पद से हटाने और दंडित करने की बजाए प्रमुख सचिव ने इनके नाम की संस्तुति मुख्य चिकित्सा अधिकारी बनाए जाने के लिए कर दी थी। दुर्भाग्य बस डॉ. राजेश मुख्य चिकित्सा अधिकारी बनते बनते रह गए वर्ना ईनादार प्रमुख सचिव के नवरत्तनों में इनका भी नाम शामिल रहता।

 

महज ये कुछ ही नाम हैं जो आपके सामने रखें गए हैं, अभी कई ऐसे नियमों की अनदेखी करने वाले फैसले हैं, जो ईनादार प्रमुख सचिव के दागदार फैसलों की सभी कहानी बयां कर देगा। विभाग के अभी कई फैसले हैं जो नियमों के विपरित लेकर भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने की कोशिश की गयी है, इसकी जानकारी पर्दाफाश के हाथ लगी है। इन भ्रष्ट अधिाकरियों की कारगुजारी को भी जल्द उजागर किया जाएगा। पर्दाफाश अभी प्रमुख सचिव और स्वास्थ्य विभाग में नियमों की अनदेखी कर लिए गए कई फैसलों का जल्द ही खुलासा करेगा।

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