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दिव्यांग व परिवार से जुदा , बेसहारा बच्चों के साथ फूलों की होली खेलकर पारब्रम्ह परमात्मा को प्रसन्न करने का अनूठा प्रयास

लोग अपनों से तो होली खेलकर खुशियां मनाते हैं, लेकिन समाज कुछ वर्ग ऐसा होता है। जो इन खुशियों से अंजान या यू कहें कि दूर रहता है, लेकिन अनोखी पहल करते हुए यूपी पुलिस में उपनिरीक्षक जितेंद्र सिंह ने शनिवार को आल्या सनह ,मानस इन्कलेव के पास ख़ुर्रम नगर चौराहे से पिकनिक स्पॉट रोड पर मानसिक रूप से दिव्यांग व परिवार से जुदा ,बेसहारा बच्चों को बीच फूल की होली खेलकर खुशियां साझा किया।

By संतोष सिंह 
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लखनऊ। लोग अपनों से तो होली खेलकर खुशियां मनाते हैं, लेकिन समाज में कुछ वर्ग ऐसा होता है। जो इन खुशियों से अंजान या यूं कहें कि दूर रहता है, लेकिन अनोखी पहल करते हुए यूपी पुलिस में उपनिरीक्षक जितेंद्र सिंह ने शनिवार को आल्या सनह ,मानस इन्कलेव के पास ख़ुर्रम नगर चौराहे से पिकनिक स्पॉट रोड पर मानसिक रूप से दिव्यांग व परिवार से जुदा ,बेसहारा बच्चों को बीच फूलों की होली खेलकर खुशियां साझा किया।

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श्री ​सिंह ने कहा कि हमें ईश्वर ने इनके बीच होली खेलने का जो अवसर प्रदान किया है। हम शुक्रगुजार हैं उस परमपिता परमेश्वर का। जो आज हम अद्भुत नजारा खुद देख पाए। श्री सिंह कहा कि इस दौरान गुझिया, चिप्स, फ्रूटी, इत्यादि खिलाकर उनके साथ फूलों की होली खेली गई। जो गजब का दृश्य था।

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उन्होंने कहा कि जैसा कि हम सभी जानते हैं कि होली का त्यौहार काफी नजदीक है और हमेशा से चला आ रहा है कि हम त्योहारों में अपने और अपने परिवार के साथ खूब खुशियां मनाते हैं। इस पर्व पर खूब अच्छे- अच्छे खाने ,पहनने और अतिथियों के आगमन के लिए लालायित रहते हैं और होना भी चाहिये,ऐसे त्योहारों की वर्षों से प्रतीक्षा भी रहती है।

श्री सिंह ने समाज को एक संदेश देते हुए कहा कि यदि हम इस त्यौहार को अपनी खुशी के साथ -साथ दूसरों के बीच भी जाकर उन्हें भी खुशी साझा कर सकें, जिनका अपना इस दुनियां में कोई नही है और न ही वे मानसिक रूप से पूर्ण स्वस्थ ही हैं। जो भी उनके पास जाता है वही उन्हें अपने लगने लगते हैं। उनमें न राग ,न द्वेष, न अपना ,न पराया, न लोभ न लालच,न छल, न कपट,न आज के बाद कल के लिए संचय की भावना नहीं होती है, लेकिन एक बात जरूर है उनमें भी आत्मा है,कहते है कि आत्मा में ही परमात्मा का निवास होता है।

अब यदि हम इतने बड़े त्यौहार में अपने बेश कीमती समय में से कुछ क्षण निकाल कर किसी के पास पहुंच कर उसे प्रसन्नचित कर सकें तो उनकी भी आत्मा प्रसन्न होगी। और यदि आत्मा प्रसन्न होगी तो जाहिर सी बात है उसमें निवास करने वाले पारब्रम्ह परमात्मा प्रसन्न होंगे। तो क्यूं न हम उस परमात्मा को प्रसन्न करने का रास्ता तलाश करें?

श्री सिंह ने कहा कि इसी तलाश में मैं आज लख़नऊ में ही एक और आश्रम पहुंचा जहां पर 11दिव्यांग ,प्रभुजन लड़कियां हैं। हमने शनिवार को दिव्यांग बच्चियों के बीच समय 03 बजे शाम फूलों की होली खेलकर उन्हें प्रसन्न करते हुए उन्हें कुछ स्वल्पाहार खिलाने और उनके आत्मा में बस रहे पारब्रम्ह परमात्मा को प्रसन्न करने का विचार किया है।

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