प्राचीन भारतीय धर्म शास्त्र जीवन की प्रत्येक क्रियाओं का सूक्ष्म विश्लेषण करते है। सदियों से चली आ रही परंपराओं के बारे शकुन शास्त्र में विस्तृत मार्गदर्शन मिलता है।
Holika shakun shastra : प्राचीन भारतीय धर्म शास्त्र जीवन की प्रत्येक क्रियाओं का सूक्ष्म विश्लेषण करते है। सदियों से चली आ रही परंपराओं के बारे शकुन शास्त्र में विस्तृत मार्गदर्शन मिलता है। शकुन शास्त्र में होलिका दहन के समय वायु प्रवाह की दिशा से जन जीवन पर पडने वाले प्रभावों का फलित निर्णय किया जाता है। आगामी वर्ष कैसा रहेगा, इसका निष्कर्ष भी निकाला जाता है। दिशा के अनुसार होली की लौ का फलाफल शकुन शास्त्र में इस प्रकार बताया गया है।
1.होलिका की अग्नि की लौ का पूर्व दिशा ओर उठना कल्याणकारी होता है।
2.होलिका की लौ दक्षिण की ओर पशु पीड़ा होगी।
3.होलिका की लौ पश्चिम की ओर हो तो यह सामान्य है।
4.होलिका की लौ उत्तर की ओर उठने से बारिश होने की संभावना रहती है।
5.अगर लौ आग्नेय कोण की ओर जाए तो यह शुभ नहीं मानी जाती। मान्यता है कि इससे देश में अग्निकांड जैसी घटनाएं अधिक होती हैं।
6 .होलिका की लौ दक्षिण दिशा की ओर जाए तो पशुओं को पीड़ा आती है। उस साल अल्पवर्षा होती है। कृषि पर संकट आता है।
7. होली की लौ नैऋत्य कोण की ओर जाए तो यह भी फसलों के लिए शुभ नहीं होती।
8. उत्तर व ईशान को कृषि के लिए लौ अत्यंत शुभ माना जाता है।