यूपीएसएलडीसी के कागजों में बत्ती फूल और धरातल पर अनेको जनपदों में कई कई घंटे तक बिजली गुल की सच्चाई पर जब उपभोक्ता परिषद ने डाला नजर तो 50 से 70 प्रतिसत व्यवधान पिछले दो वर्षों में लगे 89596 किलोमीटर एरिया बंद कंडक्टर के कारण उनकी क्वालिटी घटिया जो जल जल के गिर रहे।
लखनऊ। यूपीएसएलडीसी के कागजों में बत्ती फूल और धरातल पर अनेको जनपदों में कई कई घंटे तक बिजली गुल की सच्चाई पर जब उपभोक्ता परिषद ने डाला नजर तो 50 से 70 प्रतिसत व्यवधान पिछले दो वर्षों में लगे 89596 किलोमीटर एरिया बंद कंडक्टर के कारण उनकी क्वालिटी घटिया जो जल जल के गिर रहे।
एरियल बंच कंडक्टर की क्वालिटी अच्छी हो तो उसे बिजली चोरी और विद्युत दुर्घटना पर लगता है अंकुश और क्वालिटी हो घटिया तो उसे उपभोक्ताओं को बहाने पडते हैं पसीने पहले के एरियल बंच कंडक्टर आज भी उपभोक्ताओं के लिए है संजीवनी लेकिन इधर योजनाओं में लगे एरियल पांच कंडक्टर उपभोक्ताओं के लिए अभिशाप।
मई के महीने में यूपीएस एल डीसी ने अनेकों बार अपने ही विद्युत आपूर्ति के रिकॉर्ड को तोडा कुल नया 29261 मेगावाट विद्युत आपूर्ति करने का बनाया रिकॉर्ड लेकिन उधर उपभोक्ताओं ने पसीना बहाने का रिकॉर्ड कायम कर उत्तर प्रदेश में पेश की एक नई मिसाल इस पर चिंतन करने की जरूरत।
बिजली की उपलब्धता भरपूर होने के बावजूद भी धरातल पर उपभोक्ता बहा रहे हैं पसीने
उत्तर प्रदेश में कागजों में बिजली फुल लेकिन अनेको जनपदों में कई कई घंटे उपभोक्ता की बिजली गुल जब इसकी पडताल की तो सामने आया मई के महीने में पावर कारपोरेशन ने उपभोक्ताओं को बिजली देने के अपने ही रिकॉर्ड को अनेकों बार तोडा और कुल 29261 मेगावाट बिजली आपूर्ति का नया रिकॉर्ड बनाया आकड़ो में बिजली की उपलब्धता भरपूर होने के बावजूद भी धरातल पर उपभोक्ता पसीने बहा रहे है पूरे उत्तर प्रदेश में उपभोक्ताओं के पसीने बहाने का जो मुख्य कारण है वह 50 से 70 एरियल बंच कंडक्टर के घटिया क्वालिटी के कारण उनके जलने और गलने की वजह से हुए व्यवधान मुख्य रूप से सामने आए खास तौर पर बिजली चोरी को रोकने और विद्युत दुर्घटना पर अंकुश लगाने के लिए एरियल बंच कंडक्टर का उपयोग बिजली कंपनियों ने करना शुरू किया आज बिजली चोरी भी अपेक्षित रूप से नहीं रुकी विद्युत दुर्घटना में भी बढोतरी हुई और विद्युत उपभोक्ताओं के ब्रेकडाउन के रूप में व्यवधान एक अभिशाप साबित हो रहा है और अब केवल पावर कारपोरेशन के जी का जंजाल बन गया पूरे उत्तर प्रदेश में पिछले दो वर्षों में लगे 1 अप्रैल 2022 से 30 अप्रैल 2024 तक 89596 किलोमीटर एरियल बंच कंडक्टर लगाये गए शायद यदि इसकी उच्च गुणवत्ता को देखा गया होता तो आज यह उपभोक्ताओं के लिए हितकर साबित होता ज्यादातर एरियल बंच कंडक्टर घटिया क्वालिटी की वजह से जल रहे है और 20 से 25प्रतिसत अब केवल ओवरलोड के चलते- जल रहे है। वही पहले जो एरियल बंद कंडक्टर लगे हैं आज भी वह उपभोक्ताओं के लिए रामबाण है लेकिन इधर आरडीएसएस सहित अन्य योजनाओं में जो एरिया बच कंडक्टर लगे वह उपभोक्ताओं के लिए अभिशाप साबित है।
बिजली कंपनियों की लापरवाही और घटिया क्वालिटी का नतीजा यह होता है भीषण गर्मी में खुल जाती है पोल
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा वर्तमान में प्रदेश के लगभग सभी जनपदों में विद्युत व्यवधान के चलते चाहे जितने कीर्तिमान आपूर्ति करने में बिजली कंपनियां बना रही है इसका फायदा उपभोक्ताओं को प्राप्त नहीं हो पा रहा है यह बात बिल्कुल सही है कि उत्तर प्रदेश में वर्तमान में 29 हजार के ऊपर विद्युत आपूर्ति की जा रही है यदि बिजली कंपनियों मे मिनिमम ब्रेकडाउन हुए होते तो शायद उपभोक्ताओं को राहत मिलती ऐसे में बिजली कंपनियों को यह सोचना होगा कि उनकी थोडी सी लापरवाही और घटिया क्वालिटी का नतीजा यह होता है जब भीषण गर्मी पडती है तो उनकी पोल खुल जाती है इसी प्रकार अंडरग्राउंड केबल की क्वालिटी हो चाहे ट्रांसफार्मर की क्वालिटी हो चाहे कंडक्टर की क्वालिटी हो सब में उच्च गुणवत्ता का होना बहुत जरूरी है देश के अनेकों राज्य इसलिए परेशान है कि वह बिजली का इंतजाम नहीं कर पा रहे हैं उत्तर प्रदेश में उपभोक्ता इसलिए परेशान है की 90 प्रतिसत बिजली का इंतजाम अगर हो भी जा रहा है तो उसका बटवारा सुचारू रूप से ना होने की वजह से व्यवधान के चलते उपभोक्ता परेशान है।
कागजों में बत्ती फूल है धरातल पर बत्ती कई कई घंटे गुल
उपभोक्ता परिषद ने कहा यूपीएसएलडीसी की 28 मई की दैनिक प्रणाली रिपोर्ट पर नजर डालें तो ग्रामीण को 23 घंटा 21 मिनट बिजली मिली है का जिक्र किया गया है और नगर पंचायत तहसील जनपद मंडल बुंदेलखंड महानगर औद्योगिक सभी को 24 घंटे विद्युत आपूर्ति मिली है का दावा किया गया है ऐसे में यह कहना बिल्कुल सही है कि कागजों में बत्ती फूल है धरातल पर बत्ती कई कई घंटे गुल है इसलिए आप बिजली कंपनियों को सोचना होगा और सही इंतजाम करके कागजों की फुल बिजली को उपभोक्ताओं के घर तक पहुंचाना होगा।