अब देश के टॉप इंस्टीट्यूट्स IIT, NIT और IIIT में भी प्लेसमेंट और जॉब की गारंटी नहीं है। साल-दर-साल प्लेसमेंट रेट घट रहा है। एक तरफ़ केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) व बीजेपी शासित राज्य सरकार यह दावा करते नहीं थकते कि रोजगार बढ़ रहा है। तो वहीं दूसरी तरफ़ संसदीय समिति की रिपोर्ट इसके उलट हकीकत बयां कर रही है।
नई दिल्ली। अब देश के टॉप इंस्टीट्यूट्स IIT, NIT और IIIT में भी प्लेसमेंट और जॉब की गारंटी नहीं है। साल-दर-साल प्लेसमेंट रेट घट रहा है। एक तरफ़ केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) व बीजेपी शासित राज्य सरकार यह दावा करते नहीं थकते कि रोजगार बढ़ रहा है। तो वहीं दूसरी तरफ़ संसदीय समिति की रिपोर्ट इसके उलट हकीकत बयां कर रही है। रिपोर्ट कह रही है कि देश में रोजगार घट रहा है। संसदीय समिति की रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि आईआईटी, एनआईटी जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं से पढ़े हुए छात्रों के लिए भी रोजगार का संकट पैदा हो रहा है। अब सवाल उठता है कि जब देश के टॉप इंस्टीट्यूट्स के छात्रों के लिए ही नौकरी की उम्मीद खत्म हो रही है तो आम कॉलेज के छात्रों का क्या होगा?
देश के आईआईटी, एनआईटी, आईआईआईटी के कैंपस प्लेसमेंट में गिरावट ने सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया
देश के आईआईटी, एनआईटी, आईआईआईटी के कैंपस प्लेसमेंट में गिरावट ने सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। कुछ आईआईएम के प्लेसमेंट में भी कमी दिख रही है। पुराने आईआईटी कैंपस प्लेसमेंट में पिछले तीन सालों में यह गिरावट करीब 10 फीसदी तक है। यह खुलासा शिक्षा, महिला, बाल, युवा और खेल संबंधी संसदीय समिति की रिपोर्ट में हुआ है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय (Union Education Ministry) को कैंपस प्लेसमेंट में बढ़ोतरी के लिए रोजगार क्षमता बढ़ाने पर काम करने की सिफारिश भी की है।
23 आईआईटी के कैंपस प्लेसमेंट में गिरावट
संसद में पेश संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी 23 आईआईटी में वर्ष 2021-22, शैक्षणिक सत्र 2022-23 और सत्र 2023-24 के बीच कैंपस प्लेसमेंट में गिरावट आई है। समिति ने शैक्षणिक सत्र 2020-21 को मूल्यांकन में शामिल नहीं किया है। सबसे अधिक गिरावट दिग्गज व पुराने आईआईटी यानी आईआईटी रुड़की में देखी गई है। यहां प्लेसमेंट वर्ष 2021-22 में 98.54 फीसदी से घटकर वर्ष 2023-24 में 79.66 प्रतिशत रह गई है। यानी करीब 18.88 फीसदी की गिरावट।
आईआईटी दिल्ली दूसरे स्थान पर है। यहां वर्ष 2021-22 और वर्ष 2023-24 के बीच 14.88 फीसदी की गिरावट है। तीसरे स्थान पर आईआईटी बॉम्बे का नाम है। यहां पर वर्ष 2021-22 और 2023-24 के बीच 12.72 फीसदी की गिरावट है। वर्ष 2021-22 में 96.11 फीसदी था, जोकि वर्ष 2023-24 के बीच 83.39 फीसदी तक रह गया है। समिति ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के बाद प्लेसमेंट में गिरावट आई है।
आईआईटी बॉम्बे में वेतन पैकेज घटा
आईआईटी बॉम्बे ने सितंबर 2024 को अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पिछले वर्षों की तुलना में बीते अकादमिक सत्र में कम छात्रों को प्लेसमेंट मिला था। सबसे कम वेतन पैकेज घटकर सिर्फ 4 लाख रुपये प्रति वर्ष रह गया है, जो चिंताजनक बदलाव का संकेत है। आईआईटी मद्रास ने वर्ष 2021-22 और 2023-24 के बीच प्लेसमेंट में 12.42% की गिरावट देखी है। आईआईटी-बीएचयू में वर्ष 2021-22 की तुलना में 2023-24 में प्लेसमेंट में सुधार हुआ, लेकिन पिछले शैक्षणिक सत्र की तुलना में वर्ष 2023-24 में अभी भी 7.58% की गिरावट है। आईआटी कानपुर में 11.15% तो आईआईटी खड़गपुर ने सबसे कम 2.8% की गिरावट है।
दूसरी और तीसरी पीढ़ी के आईआईटी में भी परेशानी
समिति ने कहा है कि बड़ी संख्या में दूसरी और तीसरी पीढ़ी के आईआईटी में भी शैक्षणिक वर्ष 2021-22 और 2023-24 के बीच प्लेसमेंट में 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट देखी गई। वर्ष 2008 और 2009 के बीच स्थापित इन आईआईटी में से आईआईटी हैदराबाद में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई, जिसमें प्लेसमेंट दर 2021-22 में 86.52 फीसदी से गिरकर वर्ष 2023-24 में 69.33 फीसदी रह गई है। आईआईटी मंडी में 14.1 फीसदी की गिरावट है। वर्ष 2015 और 2016 के बीच स्थापित आईआईटी जम्मू में 21.83 फीसदी की गिरावट है।
देश में बेरोजगारी का संकट ले चुका है ख़तरनाक रूप , अब देश के टॉप इंस्टीट्यूट्स में नहीं है प्लेसमेंट और जॉब की गारंटी : रणदीप सुरजेवाला
कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व सांसद रणदीप सुरजेवाला ने एक्स पोस्ट पर लिखा कि भाजपा की लाई भयानक बेरोजगारी की महामारी में, अब देश के टॉप इंस्टीट्यूट्स- IIT, NIT और IIIT में भी प्लेसमेंट और जॉब की गारंटी नहीं है।
उन्होंने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IITs) में 2021-22 की तुलना में, 2023-24 में कैंपस प्लेसमेंट में 25 फीसदीतक की गिरावट आई है। देश के कुल 23 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में से आधे से अधिक के प्लेसमेंट में, इस दौरान 10 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है। देश के कुल 23 में से 22 IITs के कैंपस प्लेसमेंट में 2021-22 की तुलना में, 2023-24 में कमी आई है।
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि केंद्र सरकार के ही दिए ये आंकड़े इस बात की गवाह ही दे रहे हैं कि देश में बेरोजगारी का संकट कितना ख़तरनाक रूप ले चुका है। बेरोजगारी में 45 साल का रिकॉर्ड तोड़ने वाली भाजपा सरकार में, जब बेहतर भविष्य, अच्छी नौकरी, आकर्षक पैकेज की गारंटी माने जाने वाले देश के टॉप संस्थानों का ये हाल है। तो देश भर में अन्य शिक्षण संस्थानों से निकले छात्र-छात्राओं का भविष्य किस कदर अंधकार में है, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है।