म्यूनिख में अंतरराष्ट्रीय सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस का आयोजन हो रहा है। अब इतने बड़े आयोजन में पाकिस्तान (Pakistan) का जिक्र न हो, ऐसा मुश्किल है। यहां पर अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) की मुखिया क्रिस्टालिना जॉर्जीवा भी मौजूद हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया है कि अगर पाकिस्तान (Pakistan) को आर्थिक संकट से बाहर आना है तो उसे क्या करना होगा।
इस्लामाबाद: म्यूनिख में अंतरराष्ट्रीय सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस का आयोजन हो रहा है। अब इतने बड़े आयोजन में पाकिस्तान (Pakistan) का जिक्र न हो, ऐसा मुश्किल है। यहां पर अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) की मुखिया क्रिस्टालिना जॉर्जीवा भी मौजूद हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया है कि अगर पाकिस्तान (Pakistan) को आर्थिक संकट से बाहर आना है तो उसे क्या करना होगा। आजादी के बाद पाकिस्तान (Pakistan) इस समय भयानक आर्थिक संकट से जूझ रहा है। देश के रक्षा मंत्री ने भी मान लिया है कि देश बहुत पहले ही दिवालिया हो चुका है। पाकिस्तान की सारी उम्मीदें आईएमएफ (IMF) पर टिकी थीं। मगर नौ फरवरी को इन उम्मीदों का अंत भी हो गया जब बेलआउट पैकेज पर जारी वार्ता अपने अंजाम तक नहीं पहुंच सकी।
आईएमएफ मुखिया ने दिए दो सुझाव
क्रिस्टालिना ने कहा है कि पाकिस्तान (Pakistan) को कर्ज का पुर्नगठन करने की कोई जरूरत नहीं है। उसे बस देश की स्थिरता के लिए कुछ कदम उठाने होंगे। क्रिस्टालिना ने कहा है कि आर्थिक संकट से बाहर आने के लिए पाकिस्तान को सिर्फ दो उपाय अपनाने हैं, पहला कर राजस्व में इजाफा किया जाए जिसमें सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों से ज्यादा कर वसूला जाए।
क्रिस्टालिना का मानना है कि ये दोनों ही सेक्टर्स से काफी ज्यादा आय होती है। इन सेक्टर्स से ही देश की अर्थव्यवस्था को काफी सहारा मिलता है। क्रिस्टालिना ने जो दूसरा कदम बताया है उसके तहत सिर्फ उन लोगों को छूट दी जाए जिन्हें वाकई इसकी जरूरत है। उनकी मानें तो छूट ऐसे लोगों को नहीं दी जानी चाहिए जो अमीर हैं और जिन्हें इसकी जरा भी जरूरत नहीं है। क्रिस्टालिना का कहना था कि आईएमएफ (IMF) देश के गरीब लोगों को सुरक्षित करना चाहता है।
एक स्थिर देश की तरह हो काम
आईएमएफ (IMF) की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टालिना ने पाकिस्तान की सरकार से अपील की है कि एक स्थिर देश के तौर पर काम करने के लिए जितने जरूरी कदम उठाए जा सकते हैं, उन्हें उठाया जाए। उनकी मानें तो देश को उस मोड़ तक पहुंचने से रोकना है, जहां पर इसके पुर्ननिर्माण की जरूरत पड़े। क्रिस्टालिना ने कहा कि सितंबर 2022 में आई विनाशकारी बाढ़ ने देश की एक तिहाई आबादी पर असर डाला है। आईएमएफ सिर्फ पााकिस्तान ये यह अपील कर रहा है कि वह एक खतरनाक जगह के तौर पर न तब्दील हो।
क्या करेगी पाकिस्तान की सरकार?
पाकिस्तान (Pakistan) को आईएमएफ (IMF) की तरफ से पहले भी आर्थिक मदद मिल चुकी है। फिलहाल संगठन के साथ वार्ता जारी है ताकि लोन प्रोग्राम को बहाल किया जा सके। आईएमएफ (IMF) की तरफ से जो नई मांगें रखी गई हैं, वो सरकार के लिए काफी विवादास्पद मुद्दा हो सकती हैं क्योंकि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के वित्त मंत्री इशाक डार बार-बार कह चुके हैं कि उनका इरादा करों को कम करना और कम आय वाले व्यक्तियों को सब्सिडी प्रदान करना है।