इस बार के बजट में सरकार ने मुख्य रूप से युवाओं, किसानों एवं मध्यम वर्ग पर ज्यादा ध्यान देने की कोशिश की। तेजी से बढ़ती बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए तमाम रोजगार प्रोत्साहन योजनाओं को चालू किया गया।
इस बार के बजट में सरकार ने मुख्य रूप से युवाओं, किसानों एवं मध्यम वर्ग पर ज्यादा ध्यान देने की कोशिश की। तेजी से बढ़ती बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए तमाम रोजगार प्रोत्साहन योजनाओं को चालू किया गया। पहली नौकरी पाने वालों को सीधे खाते में 15000 रुपए डालने से, PF जमा करने एवं टॉप 500 कंपनियों में 12 महीने की 5000 रुपए प्रति माह भुगतान का इंटर्नशिप का अवसर जैसे बड़े ऐलान इस बार के बजट में किए गए है।
अन्नदाताओं का भी ध्यान रखा गया है जिसमें की फसलों के डिजिटल सर्वेक्षण करने से लेकर प्राकृतिक खेती करने पर जोर दिया गया है।MSME व्यापारियों के लिए मुद्रा लोन 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख काफी राहत भरा मालूम पड़ता है।
एक बहुत ही अच्छी बचत स्कीम छोटे बच्चों के लिए वात्सल्य एन पी एस शुरू की गई है और इसका फायदा बच्चों के वयस्क होने पर मिल सकेगा। टैक्स की घोषणाओं को लेकर इस बार के बजट में सरकार का मिला जुला रुख रहा है।
जहां एक तरफ तो नौकरीपेशा लोगों के लिए नई टैक्स व्यवस्था में मानक कटौती को 50000 रूपए से बढ़ाकर 75000 रुपए कर दिया गया है और टैक्स की दरों और स्लैब्स में भी अनुकूल परिवर्तन किया गया है जिससे कि नई टैक्स व्यवस्था को अपनाने वाले करदाताओं को करीब 17500 रुपए की टैक्स छूट मिलेगी।
वहीं दूसरी तरफ शेयर बाजार में रुचि रखने वाले करदाताओं को निराशा हाथ लगी है क्योंकि शेयरों से होने वाले लम्बी अवधि के पूंजीगत लाभ पर कर दर 10% से 12.5% कर दिया गया है और यदि यह अल्प अवधि का पूंजीगत लाभ है तो यह दर 15% से बढ़ाकर 20% कर दी गई है। हालांकि जिन करदाताओं ने राष्ट्रीय पेंशन स्कीम ले रखी है उनके लिए भी अंशदान की राशि 10% से बढ़ाकर 14% करने पर भी अतिरिक्त टैक्स लाभ मिल सकेगा।
इसी तरह से प्रॉपर्टी की बिक्री पर मिलने वाले इंडेक्सेशन लाभ को भी इस बजट में खत्म कर दिया गया है जिससे भी करदाताओं में रोष व्याप्त है। सरकार द्वारा इनकम टैक्स के प्रावधानों को पूरी तरह से नए प्रारूप में 6 महीने के भीतर सरलीकरण करने का फैसला स्वागत योग्य है।