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महाभारत में इस धनुधारी को उर्वशी ने दिया था नपुंसक होने का श्राप, पौराणिक कथा ने उड़ाए होश

उर्वशी ने कहा कि तुमने नपुंसकों जैसे वचन कहे हैं और तुम्‍हारी इस बात से नाराज़ होकर मैं तुम्‍हें एक साल तक नपुंसक होने का शाप देती हूं। इतना कह कर उर्वशी वहां से चली गई और उसने अर्जुन की एक बात ना सुनी

By आराधना शर्मा 
Updated Date

नई दिल्ली:  महाभारत युद्ध में अपने ही भाईयों का वध करने का दुख पांडवों के मन को हमेशा कचोटता रहता था और इस युद्ध में उन्‍हें अपने स्‍वयं के सभी पुत्रों की भी बलि देनी पड़ी थी। इसी तरह पांडु पुत्र अर्जुन के जीवन का भी एक ऐसा सत्‍य है जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।

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पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार स्‍वर्ग की अप्‍सरा उर्वशी ने अर्जुन को नपुंसक होने का शाप दिया था। आइए जानते हैं कि उर्वशी और अर्जुन के पीछे छिपी पौराणिक कथा के बारे में …

गुस्से में उर्वशी ने दिया था अर्जुन को श्राप

उर्वशी स्‍वर्ग की अप्‍सरा थी और एक बार उसकी नज़र अर्जुन पर पड़ गई। एक दिन स्‍वर्ग में चित्रसेन अर्जुन को संगीत और नृत्‍य की शिक्षा दे रहे थे और उस समय वहां पर इंद्र की अप्‍सरा उर्वशी आ गई और उसे अजुर्न का बल और आकर्षण बहुत पसंद आया। उसने पांडु पुत्र अर्जुन पर मोहित होकर उससे विवाह करने की इच्‍छा जताई।

उर्वशी ने अर्जुन से कहा कि मैं तुमसे विवाह करके अपने मन की इच्‍छा को तृप्‍त करना चाहती हूं। उर्वशी के इन शब्‍दों को सुनकर अुर्जन ने कहा-देवी.. हमारे पूर्वजों ने आपसे विवाह करके हमारे वंश का गौरव बढ़ाया था। इस नाते आप हमे माता तुल्‍य हैं। मैं आपके साथ विवाह नहीं कर सकता हूं।

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अर्जुन की इन बातों को सुनकर उर्वशी को अपमान महसूस हुआ। क्रोधित होकर उर्वशी ने कहा कि तुमने नपुंसकों जैसे वचन कहे हैं और तुम्‍हारी इस बात से नाराज़ होकर मैं तुम्‍हें एक साल तक नपुंसक होने का शाप देती हूं। इतना कह कर उर्वशी वहां से चली गई और उसने अर्जुन की एक बात ना सुनी।

इंद्र देव ने दी थी ऐसी प्रतिक्रिया

जब इंद्र देव को उर्वशी और अर्जुन के बीच हुई इस घटना के बारे में पता चला तो उन्‍होंने अर्जुन से कहा कि तुमने उर्वशी के साथ जैसा व्‍यवहार किया है उसका फल तो तुम्‍हे जरूर मिलेगा। अज्ञातवास के दौरान तुम्‍हें इस शाप का लाभ होगा। अज्ञातवास के एक साल के दौरान ही तुम नपुंसक रहोगे और अज्ञातवास पूर्ण होने के बाद तुम्‍हें दोबारा पुंसत्‍व की प्राप्‍ति होगी। इंद्र देव की इस बात को सुनकर अर्जुन का मन शांत हुआ।

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